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Awareness Programme: गठिया के मरीजों को मिल रही फिजियोथैरेपी से नई जिंदगी, जानिए विशेषज्ञों ने क्या बताया

दिल्ली के एक निजी अस्पताल में बीते शुक्रवार को फिजियोथेरेपी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान डॉक्टर ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने में फिजियोथेरेपी की अहम भूमिका है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 16, 2023, 9:36 AM IST

Updated : Sep 16, 2023, 10:44 AM IST

इस तरह बढ़ती है गठिया रोगियों की परेशानी

नई दिल्ली:दिल्ली के एक अस्पताल में बीते शुक्रवार को विश्व फिजियोथेरेपी दिवस का आयोजन किया गया. दरअसल, विश्व फिजियोथेरेपी दिवस आठ सितंबर को मनाया जाता है. लेकिन G20 सम्मेलन की वजह से अस्पताल में इसका आयोजन नहीं हो पाया. इसलिए अस्पताल प्रबंधक ने 15 सितंबर को इसे मनाने का फैसला लिया. इस दौरान अस्पताल की फिजियोथेरेपी और पुनर्वास विभाग की प्रमुख डॉ. सीमा ग्रोवर ने कहा कि सूजन संबंधी अर्थराइटिस (गठिया) से जूझ रहे रोगियों के जीवन में फिजियोथेरेपी की भूमिका काफी अहम है. इसके जरिए रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है.

18 मिलियन लोग रुमेटीइड गठिया से प्रभावित

डॉक्टर सीमा ने शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में अहम जानकारियां साझा कीं. उन्होंने बताया कि सूजन संबंधी गठिया, जोड़ों में सूजन पैदा करने वाले ऑटोइम्यून रोगों का एक समूह है जो एक महत्वपूर्ण वैश्विक आबादी को प्रभावित कर रहा है. डॉक्टर सीमा ने आगे बताया कि 2019 में, दुनिया भर में लगभग 18 मिलियन लोगों को रुमेटीइड गठिया था, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं थीं. भारत की बात करें तो आबादी के लगभग 0.92 प्रतिशत वयस्क लोग इस स्थिति से प्रभावित हैं. ये आंकड़े रुमेटोलॉजी और फिजियोथेरेपी में जागरूकता बढ़ाने और नवीन हस्तक्षेपों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाल रहे हैं.

उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य उपस्थित लोगों को गठिया के प्रकारों की गहरी समझ प्रदान करना, मिथकों को दूर करना और सूजन संबंधी गठिया के प्रबंधन में फिजियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देना था. इस अवसर पर अस्पताल के प्रबंध निदेशक शिव कुमार पट्टाभिरामन ने कहा कि यह जागरूकता कार्यक्रम समग्र स्वास्थ्य देखभाल के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है.

इस तरह बढ़ती है गठिया रोगियों की परेशानी
ऑटो इम्यून डिसऑर्डर से इम्यून सिस्टम भ्रमित हो जाता है और रसायन छोड़ता है जो अपनी ही कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करता है. इससे सूजन और जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है. लापरवाही बरतने पर एक दिन मरीज बिस्तर पर आ जाता है. इन रोगियों में बाद में कार्डियो वैस्कुलर रोग का भी खतरा बढ़ जाता है. सूजन के कारण धमनियों में प्लाक जमा हो जाता है, जो धीरे-धीरे रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण कर देता है और रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर देता है. यह दिल के दौरे और स्ट्रोक का मुख्य कारण बनता है. यह कार्यक्रम दिल्ली के अपोलो अस्पताल में आयोजित हुआ था.

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Last Updated : Sep 16, 2023, 10:44 AM IST

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