नई दिल्ली: दिल्ली एम्स का सर्वर हैक होने के चलते दो हफ्तों से सभी डिजिटल कामकाज पूरी तरह से ठप हैं. सर्वर हैक होने के बाद अब एम्स में मैनुअल मोड पर काम चल रहा है. मरीजों की ओपीडी से लेकर मरीजों की भर्ती प्रक्रिया समेत लैब जांच और सभी कामकाज मैनुअली हो रहा है. लगातार सर्वर को ठीक करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है.
साइबर एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा बताती हैं कि किसी भी नेटवर्क को हैक होने से बचाने के लिए या सुरक्षित रखने के लिए ये कदम कारगर साबित हो सकते हैं...
- बैकअप लेते वक्त हर फाइल स्कैन करनी जरूरी है. प्रत्येक फाइल को स्कैन करने से पता चल सकता है कि फाइल में वायरस तो नहीं है, जिससे कि एक सिस्टम में मौजूद वायरस की वजह से पूरा सिस्टम हैक होने से बचाया जा सके.
- डाटा पॉलिसी और डाटा प्रोटेक्शन नियम का होना भी जरूरी है.
- डिजिटल सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर की तरफ से यूजर्स को सिर्फ उतना एक्सेस दिया जाए जितने की जरूरत है.
- समय-समय पर सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी है.
- जो लोग डिजिटल डाटा या ईमेल आदि का इस्तेमाल करते हैं उन लोगों को मैलवेयर समेत वायरस के बारे में प्रशिक्षित करना बेहद आवश्यक है, जिससे उन्हें जानकारी हो कि ईमेल में भेजा गया लिंक वायरस हो सकता है.
- नेटवर्क पर मौजूद सिस्टम जिनमें जरूरी गोपनीय जानकारियां हैं. उनका अलग नेटवर्क होना चाहिए.
- डेटाबेस की परमिशन में फिल्टर और लेयर का लगाना भी बेहद जरूरी है, जिससे कोई भी अनधिकृत यूजर डाटा बेस में एक्सेस न कर सके.
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