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PM मोदी ने पैरा एथलीटों से कहा- पदक का दबाव लिए बिना टोक्यो में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो पैरालंपिक जा रहे भारतीय पैरा एथलीटों को 'असली जिंदगी का चैम्पियन' बताते हुए कहा, उन्हें कोई मानसिक बोझ लिए बिना अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है. क्योंकि नई सोच का भारत खिलाड़ियों पर पदक के लिए दबाव नहीं बनाता.

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पैरा एथलीट और पीएम मोदी

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Published : Aug 17, 2021, 2:48 PM IST

नई दिल्ली:टोक्यो ओलंपिक 2020 से पहले भारतीय दल से बात करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 24 अगस्त से शुरू हो रहे पैरालंपिक से पहले भारत के पैरा एथलीटों से मंगलवार को करीब डेढ घंटा संवाद किया. उन्होंने दिव्यांग खिलाड़ियों के जीवन में आई चुनौतियों के बारे में पूछा, उनके परिवार के योगदान को सराहा और टोक्यो में अच्छे प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों पर से दबाव कम करने की कोशिश भी की.

प्रधानमंत्री ने वर्चुअल बातचीत में कहा, आप असली चैम्पियन हैं, आपने जिंदगी के खेल में संकटों को हराया है और कोरोना महामारी से बढ़ी परेशानियों में भी अभ्यास नहीं रूकने दिया. 'यस वी विल डू इट, वी कैन डू इट' को आपने चरितार्थ करके दिखाया. एक खिलाड़ी के रूप में पदक अहम है, लेकिन नई सोच का भारत अपने खिलाड़ियों पर पदक के लिए दबाव नहीं बनाता.

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उन्होंने कहा, आप बिना किसी मानसिक बोझ के, सामने कितना मजबूत खिलाड़ी है उसकी चिंता किए बिना अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कीजिए. तिरंगा लेकर आप टोक्यो में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे तो पदक ही नहीं जीतेंगे, बल्कि नए भारत के संकल्पों को नई ऊर्जा भी देंगे. मुझे यकीन है कि आपका जोश और हौसला टोक्यो में नए कीर्तिमान गढेगा.

उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा, जब मैं नया-नया प्रधानमंत्री बना और दुनिया भर के नेताओं से मिलता था, जिनका रूतबा बड़ा है और कद भी बड़ा है. मेरी पृष्ठभूमि भी आपकी ही तरह थी और देश में भी लोगों को शंका रहती थी कि मैं कैसे काम करूंगा. मैं जब दुनिया के नेताओं से हाथ मिलाता तो यह नहीं सोचता था कि नरेंद्र मोदी हाथ मिला रहा है. मैं सोचता था कि मेरे पीछे मेरे सौ करोड़ देशवासी हैं और मुझे आत्मविश्वास की कमी कभी महसूस नहीं होती थी.

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उन्होंने कहा कि ओलंपिक में भी कुछ खिलाड़ी जीते और कुछ नहीं जीत सके. लेकिन देश मजबूती से सभी के साथ खड़ा रहा. उन्होंने कहा, आप लोगों का आत्मबल और कुछ हासिल करने की इच्छाशक्ति असीम है और इसी की बदौलत भारत का सबसे बड़ा दल पैरालंपिक में जा रहा है. भारत का 54 सदस्यीय दल टोक्यो पैरालंपिक में भाग लेगा, जो अब तक का सबसे बड़ा दल है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर दो बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भालाफेंक खिलाड़ी देवेंद्र झझारिया की बेटी से पूछा, वह स्टेच्यू ऑफ यूनिटी देखने अभी तक गई है या नहीं. वहीं रियो पैरालंपिक के स्वर्ण पदक विजेता मरियप्पन थंगावेलु की मां का तमिल में अभिवादन करते हुए पूछा, उनके बेटे को खाने में क्या पसंद है. उन्होंने पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी पारूल से गुजराती में बात की तो पावर लिफ्टर सकीना खातून से बंगाली में.

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तीरंदाज ज्योति बालियान से उन्होंने कहा, पिता के निधन के बाद आपने अपने खेल को और घर को भी संभाला. आप अच्छी खिलाड़ी होने के साथ अच्छी बेटी और बहन भी हैं और आपके बारे में जानने के बाद देश के हर व्यक्ति के विचारों में ज्योति का प्रकाश आएगा.

उन्होंने साल 2009 में एक दुर्घटना में अपना पैर गंवा बैठे कटरा के पैरा तीरंदाज राकेश कुमार से पूछा कि जीवन की बाधाओं ने कैसे उन्हें बेहतर खिलाड़ी के रूप में उभरने में मदद की. उन्होंने कहा, जीवन में कितने भी संघर्ष हों, लेकिन जीवन बहुमूल्य हैं. आप देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं और जमकर खेलिए. परिवार और देश का नाम रोशन कीजिए.

एथेंस में साल 2004 और रियो में साल 2016 में भालाफेंक में स्वर्ण पदक जीतने वाले विश्व रिकार्डधारी झझारिया से उन्होंने पूछा कि इतने बड़े अंतराल के बावजूद उम्र को झुकाते हुए पदक कैसे जीते. उन्होंने झझारिया की पत्नी और पूर्व कबड्डी खिलाड़ी मंजू से पूछा कि वह अब खेलती है या बंद कर दिया. वहीं बेटी जिया से कहा, टोक्यो खेलों के बाद आप पूरे परिवार के साथ स्टेच्यू ऑफ यूनिटी देखने जाना.

रियो में ऊंचीकूद में स्वर्ण जीतने वाले थंगावेलु से उन्होंने कहा, वणक्कम. आपने हिन्दी बोलना सीख लिया. सिनेमा जगत में जैसे एक्टर बाद में डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी बन जाते हैं. आप भी खिलाड़ी और कोच दोनों हो और सुना है कि आप पर बायोपिक भी बन रही है.

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उन्होंने आगे कहा, आप विजयी होकर आएंगे तो आप सभी लोगों से मैं मिलूंगा और आपके अनुभव जानूंगा. पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी पलक कोहली से उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान परिवार से दूर रहने, बीमारी से उबरकर वापसी करने और कोच गौरव खन्ना के उनके कैरियर में योगदान के बारे में पूछा. वहीं पलक की जोड़ीदार गुजरात की 48 साल की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी पारूल परमार से पूछा कि उम्र के अंतर के बावजूद उनकी जोड़ी सुपर हिट कैसे है.

पैरा केनोइंग में पैरालंपिक खेल रही भारत की पहली खिलाड़ी प्राची यादव से उन्होंने पूछा कि रोल मॉडल के रूप में उन्हें कैसा लगता है. वहीं पावरलिफ्टर सकीना से कहा कि बड़े लक्ष्य रखने वाले छोटे शहरों की और गरीब परिवारों की लड़कियों को वे क्या संदेश देंगी.

बारूदी सुरंग विस्फोट में पैर गंवाने वाले शॉटपुट खिलाड़ी सेना के सोमन राणा से उन्होंने कहा, आप इस बात का उदाहरण हैं कि भारतीय सेना का किसी के जीवन पर क्या असर होता है. आप फाइटर भी हैं और विनर भी.

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