नई दिल्ली: भारतीय टेनिस संघ ने उम्र संबंधित धोखाधड़ी के संकट से बचने के लिए राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाले सभी जूनियर खिलाड़ियों का ऐज वेरिफिकेशन टेस्ट कराने का फैसला किया है. वहीं, दिग्गज महेश भूपति का कहना है कि ये कदम उठाने में काफी देर कर दी है. ये कदम 50 साल पहले उठा लेना चाहिए था.
जूनियर डेविस और फेड कप में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को भी इस टेस्ट से गुजरना होगा. अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) ने कहा कि चंडीगढ़ लॉन टेनिस संघ परिसर के अंदर कथित छेड़छाड़ के बाद पांच जूनियर खिलाड़ियों के खिलाफ उम्र संबंधित धोखाधड़ी के आरोप ने उन्हें इस टेस्ट को फिर से लागू करने का मौका प्रदान किया.
एआईटीए के महासचिव हिरण्मय चटर्जी ने एक मीडिया एजेंसी से कहा, ‘अब से राष्ट्रीय चैंपियनशिप में सभी खिलाड़ियों का आयु वर्ग टूर्नामेंट (अंडर 12, अंडर 14 और अंडर 16) के मुख्य ड्रॉ में उम्र सत्यापन टेस्ट (टीडब्ल्यू3) कराया जाएगा. साथ ही देश का प्रतिनिधित्व करने वाले जूनियर खिलाड़ियों को भी इस टेस्ट से गुजरना होगा.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम ये पहली बार कर रहे हैं. पहले भी खिलाड़ियों को इस मेडिकल टेस्ट को कराने के लिए कहा जाता था लेकिन किसी तरह ये बंद हो गया था. अब सीएलटीए मुद्दे को मीडिया में काफी दिखाया गया और सीनियर खिलाड़ियों ने चिंता व्यक्त की, एआईटीए अधिकारियों ने इस पर चर्चा की और महसूस किया कि ये कदम जरूरी है.’
इस टेस्ट का खर्चा राष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रवेश करने वाले खिलाड़ी उठाएंगे जबकि जूनियर डेविस कप और फेड कप टीमों की जांच का खर्चा एआईटीए उठाएगा. अगर कोई खिलाड़ी पहले टेस्ट में सही पाया जाता है तो उसका दोबारा टेस्ट नहीं किया जाएगा. ऐसे भी सुझाव थे कि ऐज वेरिफिकेशन टेस्ट तभी अनिवार्य कर देना चाहिए जब एक खिलाड़ी एआईटीए से पंजीकरण कराता है तो चटर्जी ने कहा ये जरूरी नहीं था.
चटर्जी ने कहा, ‘कुछ दिशानिर्देश हैं. जब एक बच्चे का उसके जन्म के एक साल के अंदर पंजीकरण हो जाता है तो वो दस्तावेज एआईटीए के साथ पंजीकरण के लिए वैध हैं. लेकिन अगर प्रमाण पत्र एक साल बाद दिया जाता है और खिलाड़ी हमारे पास आता है तो हम उससे उम्र सत्यापन टेस्ट कराने को कहते हैं.’