नई दिल्ली : ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और उनके पहलवान पति सत्यव्रत कादियान ने शनिवार को जोर देते हुए कहा कि उनका विरोध राजनीति से प्रेरित नहीं है और उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद वे वर्षों तक चुप रहे क्योंकि इससे पहले कुश्ती जगह एकजुट नहीं था. ट्विटर पर पोस्ट वीडियो में कादियान ने कहा कि उनके विरोध को लेकर झूठी कहानी तैयार की गई है और वह चीजों को साफ करना चाहते हैं.
साक्षी, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित देश के शीर्ष पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और डराने-धमकाने का आरोप लगाया है. कांग्रेस की प्रियंका गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक सहित विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेता धरना स्थल पहुंचे थे और पहलवानों का समर्थन किया था जिन्हें 28 मई को जंतर-मंतर से हटा दिया गया.
कादियान ने कहा कि उनके प्रदर्शन को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है. कादियान ने कहा, 'मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि हमारा विरोध राजनीति से प्रेरित नहीं है. हम जनवरी में (जंतर-मंतर) आए थे और पुलिस से इजाजत भाजपा के दो नेताओं ने ली थी. उन्होंने इस दौरान साक्षी को प्रदर्शन की स्वीकृति मांगने वाला पत्र दिखाने को कहा. यह पत्र पूर्व पहलवान बबीता फोगाट और तीरथ राणा ने लिखा था जो भाजपा से जुड़े हैं. कादियान ने आगे कहा, 'यह (प्रदर्शन) कांग्रेस समर्थित नहीं है. (कुश्ती जगत में) 90 प्रतिशत से अधिक लोग जानते हें कि पिछले 10 से 12 साल से यह (उत्पीड़न और डराना) हो रहा है. कुछ लोगों ने आवाज उठाने की कोशिश की लेकिन कुश्ती जगत एकजुट नहीं था. हैवीवेट वर्ग में चुनौती पेश करने वाले कादियान ने दोहराया कि उनकी लड़ाई डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ है, सरकार के खिलाफ नहीं.
साक्षी ने कहा कि वे इतने वर्षों से चुप थे क्योंकि पहलवान एकजुट नहीं थे. रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता ने कहा, 'आपने देखा कि नाबालिग अपने बयान से पीछे हट गई है. उसके परिवार को डराया गया है. ये पहलवान गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. ताकतवर व्यक्ति के खिलाफ साहस जुटाना आसान नहीं है. कादियान ने कहा कि 28 मई को पुलिस की निर्दयता ने उन्हें तोड़ दिया है. पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और धक्का देकर बसों में बैठाया जिसकी चौतरफा आलोचना हुई.