क्या है पहलवानों और डब्ल्यूएफआई के बीच चल रहा पूरा विवाद, जानिए किस समय इस ड्रामे में आया कौन सा मोड़ - विनेश फोगाट
भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह और उनकी पूरी कमेटी को खेल मंत्रालय ने निलंबित कर दिया है. ये सब भारतीय पहलवानों के एक के बाद एक बड़े फैसले लेने के बाद हुआ है. लेकिन अगर आपको पता नहीं है कि ये पूरा मामला क्या है तो आज हम आपको विस्तार से इसके बारे में बताने वाले हैं.
नई दिल्ली: खेल मंत्रालय द्वारा रविवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को निलंबित किए जाने तक की घटनाओं की समयसीमा इस प्रकार है. इसमें पहलवानों के 18 जनवरी को जंतर मंतर पर अपना विरोध प्रदर्शन शुरू करने से लेकर 21 दिसंबर को चुने गए संजय सिंह के नेतृत्व वाले डब्ल्यूएफआई पैनल के निलंबन तक की घटनाओं का जिक्र है.
इस मामले में कब और क्या हुआ
18 जनवरी: पहलवानों ने जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया. डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण और धमकी का आरोप लगाया तथा उनके इस्तीफे और महासंघ को भंग करने की मांग की.
19 जनवरी: राष्ट्रमंडल खेलों की चैम्पियन पहलवान और भाजपा सदस्य बबीता फोगाट ने पहलवानों से मुलाकात की और कहा कि वह सरकार से बात करेंगी.
20 जनवरी: पहलवानों ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) अध्यक्ष पीटी ऊषा को एक शिकायत पत्र लिखा और आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति के गठन और पहलवानों की सलाह से डब्ल्यूएफआई को चलाने के लिए एक नयी समिति की नियुक्ति की मांग की.
इसके बाद आईओए ने यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति गठित की जिसमें एमसी मैरीकॉम और योगेश्वर दत्त भी शामिल थे.
21 जनवरी: खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात के बाद पहलवानों ने विरोध प्रदर्शन समाप्त किया.
खेल मंत्री ने कहा कि आरोपों की जांच के लिए एक निगरानी समिति बनायी जायेगी और जांच पूरी होने तक बृजभूषण पद से हट जाएंगे. डब्ल्यूएफआई ने अपने अध्यक्ष और कोच द्वारा महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया.
21 जनवरी: खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई से सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने और डब्ल्यूएफआई की आपातकालीन आम सभा बैठक निर्धारित करने को कहा.
डब्ल्यूएफआई के सहायक सचिव विनोद तोमर को निलंबित किया.
23 जनवरी: आरोपों की जांच के लिए मैरीकॉम की अगुआई में पांच सदस्यीय निगरानी समिति का गठन.
निगरानी समिति को जांच पूरी करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया गया.
24 जनवरी: प्रदर्शन करने वाले पहलवानों ने निराशा व्यक्त की कि सरकार ने समिति के सदस्यों के लिए उनसे सलाह नहीं ली.
23 फरवरी: निगरानी समिति का कार्यकाल दो हफ्ते बढ़ाया गया.
16 अप्रैल: निगरानी समिति की रिपोर्ट खेल मंत्रालय को सौंपे जाने के बाद डब्ल्यूएफआई ने सात मई को चुनाव की घोषणा की. हालांकि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गयी.
23 अप्रैल: पहलवानों ने जंतर-मंतर पर वापसी की और कहा कि एक नाबालिग समेत सात महिला पहलवानों ने कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई है. दावा किया कि पुलिस ने अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है.
पहलवानों ने खेल मंत्रालय से निगरानी समिति के निष्कर्षों को सार्वजनिक करने को कहा.
24 अप्रैल: खेल मंत्रालय ने सात मई के चुनाव रोक दिये. आईओए से अपने गठन के 45 दिनों के भीतर चुनाव कराने और खेल निकाय का प्रबंधन करने के लिए एक तदर्थ समिति गठित करने को कहा.
25 अप्रैल: पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया.
27 अप्रैल: आईओए द्वारा तीन सदस्यीय पैनल का गठन.
पीटी ऊषा ने कहा कि विरोध करने वाले पहलवानों को कुछ अनुशासन दिखाना चाहिए था और सड़कों पर उतरने के बजाय आईओए से संपर्क करना चाहिए था.
3 मई: पहलवानों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प हुई जिसमें कुछ प्रदर्शनकारियों के सिर में चोटें आईं.
प्रदर्शनकारियों ने नशे में धुत्त अधिकारियों पर उनके साथ मारपीट करने और महिला पहलवानों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया. इस विवाद के कारण कुछ पहलवानों को हिरासत में लेना पड़ा और कुछ पहलवानों को चोटें भी आईं.
4 मई: प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद और सात शिकायतकर्ताओं को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराये जाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने उन तीन महिला पहलवानों की याचिका पर कार्रवाई बंद कर दी.
5 मई: दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने वाली पहलवानों के बयान दर्ज किये.
10 मई: पहलवानों ने बृजभूषण को नार्को टेस्ट कराने की चुनौती दी.
11 मई: पुलिस ने बृजभूषण का बयान दर्ज किया.
28 मई: विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया सहित अन्य प्रदर्शन कर रहे पहलवानों पर दंगा करने और बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया जब वे नयी संसद की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे थे जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जा रहा था.
30 मई: अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) और यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने भारतीय पहलवानों के साथ पुलिस के व्यवहार और हिरासत की निंदा की.
पदक बहाने हरिद्वार पहुंचे पहलवान.
8 जून: नाबालिग पहलवान के पिता ने पीटीआई को बताया कि उन्होंने जानबूझकर डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ यौन उत्पीड़न की झूठी पुलिस शिकायत दर्ज की क्योंकि वे उनसे बदला लेना चाहते थे.
7 जून: ठाकुर द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद विरोध रुका कि बृजभूषण के खिलाफ पुलिस जांच पूरी हो जाएगी और लंबित डब्ल्यूएफआई चुनाव 30 जून तक कराए जाएंगे.
12 जून: आईओए ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश महेश मित्तल कुमार को निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया.
13 जून: डब्ल्यूएफआई का चुनाव छह जुलाई को तय हुआ.
15 जून: दिल्ली पुलिस ने अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया.
19 जून: आईओए तदर्थ पैनल ने पांच गैर मान्यता प्राप्त राज्य कुश्ती इकाइयों को 21 जून को सुनवाई के लिए बुलाया.
21 जून: आईओए तदर्थ पैनल ने डब्ल्यूएफआई चुनाव 11 जुलाई को निर्धारित किये क्योंकि पांच गैर मान्यता प्राप्त राज्य कुश्ती इकाईयों ने सुनवाई में अपने मामले पेश किये जो चुनाव में वोट देने का अधिकार मांग रहे थे.
22 जून: आईओए तदर्थ पैनल ने एशियाई खेलों और विश्व चैम्पियनशिप चयन को छह विरोध करने वाले पहलवानों के लिए एक-मुकाबले तक सीमित कर दिया.
23 जून: कई कोच और पहलवानों के माता-पिता ने छह पहलवानों को दी गई छूट वापस लेने की मांग की.
25 जून: असम कुश्ती संघ द्वारा दायर याचिका पर गौहाटी उच्च न्यायालय ने 11 जुलाई को होने वाले डब्ल्यूएफआई चुनावों पर रोक लगा दी.
18 जुलाई: दिल्ली की अदालत ने बृजभूषण सिंह को अंतरिम जमानत दी.
बजरंग और विनेश को एशियाई खेलों में सीधे प्रवेश मिला.
19 जुलाई: बजरंग और विनेश को ट्रायल में अनुचित छूट के विरोध में युवा पहलवानों ने हिसार की सड़कों पर प्रदर्शन किया.
डब्ल्यूएफआई चुनाव सात अगस्त को तय हुए.
20 जुलाई: कई जूनियर पहलवान, उनके माता-पिता और कोच आईओए मुख्यालय पहुंचे जिन्होंने विनेश और बजरंग को दी गई छूट वापस लेने की मांग की.
डब्ल्यूएफआई चुनाव 12 अगस्त को पुनर्निर्धारित.
11 अगस्त: हरियाणा कुश्ती संघ द्वारा दायर याचिका के बाद पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 12 अगस्त को होने वाले डब्ल्यूएफआई चुनावों पर रोक लगा दी.
23 अगस्त: कुश्ती की विश्व संचालन संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने समय पर चुनाव नहीं कराने के लिए डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया.
पांच दिसंबर: डब्ल्यूएफआई के चुनाव 21 दिसंबर को निर्धारित हुए.
21 दिसंबर: बृज भूषण के विश्वासपात्र संजय सिंह को डब्ल्यूएफआई का नया प्रमुख चुना गया और उनके पैनल ने अधिकांश पदों पर आसानी से जीत हासिल की.
21 दिसंबर: बजरंग और साक्षी ने प्रेस कांफ्रेंस की, इसमें साक्षी ने संजय सिंह के चुनाव के विरोध में कुश्ती से संन्यास ले लिया.
22 दिसंबर: संजय सिंह के चुनाव के विरोध में बजरंग ने पद्मश्री पुरस्कार लौटाया.
24 दिसंबर: खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया क्योंकि नवनिर्वाचित संस्था ने उचित प्रकिया का पालन नहीं किया और पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की ‘जल्दबाजी में घोषणा’ की थी.