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VIDEO: जानिए खेल के ताजा विषयों पर क्या कहते है Expert

वरिष्ठ खेल पत्रकार चंदर शेखर लूथरा के साथ खेल विषयों पर की गई खास बातचीत.

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Published : Dec 14, 2019, 3:34 PM IST

Updated : Dec 14, 2019, 3:51 PM IST

हैदराबाद:डोपिंग प्रतिबंध से लेकर विश्व चैम्पियनशिप में खिताबी जीत के बाद पीवी सिंधु के प्रदर्शन में आई गिरावट, खेल जगत में इस वक्त काफी कुछ घट रहा है. इन्ही सब मुद्दों पर गंभीर रूप से विश्लेषण करने के लिए हमारे पास ईटीवी भारत में वरिष्ठ खेल पत्रकार चंदर शेखर लूथरा हैं.

Q. ओलंपिक 2020 को अब सिर्फ कुछ ही महीने बचे हैं और भारतीय एथलीट ने इस मेगा इवेंट के लिए कमर कस ली है. क्या आपको लगता है कि इस बार भारत 2012 ओलंपिक के रिकॉर्ड को तोड़ पाएगा ?

A- सच कहूं तो मुझे नहीं लगता कि भारत टोक्यो में छह से अधिक पदक जीतेगा. 2012 में, भारत ने लंदन ओलंपिक में 6 पदक जीते थे लेकिन इस बार ये काफी मुश्किल है. भारतीय एथलीटों ने इस मेगा इवेंट में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया है. हालांकि, भारत के पास अभी भी समय है. उनके पास अभी भी छह महीने बाकी हैं.

हम निशानेबाजी, बैडमिंटन, कुश्ती और मुक्केबाजी से पदक की उम्मीद कर सकते हैं. लेकिन हमारे पास बस ये सब है, हम विश्व स्तर पर तीरंदाजी में अच्छा नहीं कर रहे हैं. बैडमिंटन और निशानेबाजी में निश्चित रूप से हमारे पास विश्व स्तरीय खिलाड़ी हैं.

हमारे पास युवा खिलाड़ी उभर कर आ रहे हैं लेकिन हम अभी भी इतिहास में अटके हुए हैं. मुझे लगता है कि एम.सी. मैरी कॉम अब इतिहास है. हम गलती कर रहे हैं अगर हम अभी भी उसके साथ जा रहे हैं. हमने 2016 के ओलंपिक में भी यही गलती की थी और अब हम इसे दोहरा रहे हैं.

देखिए खास बातचीत

Q. शूटर रवि कुमार और मुक्केबाज सुमित सांगवान जैसे खिलाड़ियों पर आप क्या कहना चाहते हैं, जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई तो किया लेकिन डोप टेस्ट में फेल होने के कारण अब उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है?

A- डोपिंग से भारत ही नहीं दुनिया भी प्रभावित हो रही है. हाल ही में, हमने देखा कि रूस को ओलंपिक से प्रतिबंधित कर दिया. तो ये एक दुनिया भर की समस्या है. बड़ा सवाल ये है कि क्या हमारे एथलीट डोपिंग के बारे में पूरी तरह से शिक्षित हैं. डोपिंग को खत्म करने के लिए हमें एथलीटों को इसके बारे में शिक्षित करने की जरुरत है.

ऐसा नहीं है कि हमने कुछ नहीं किया है. पहले वेटलिफ्टर डोप टेस्ट में फेल हो जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. खेल के प्रशासकों ने एथलीटों को साफ संदेश दिया कि वो पदक नहीं चाहते हैं, वो क्लीन एथलीट चाहते हैं.

Q. पी.वी. सिंधु ने विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता लेकिन उसके बाद, हमने उन्हें निचले क्रम के शटलरों से हारते हुए देखा है. टोक्यो ओलंपिक को देखते हुए क्या आपको लगता है कि वो 2020 में अपने रजत पदक को सोने में बदलने में काम्याब हो पाएँगी?

A- बैडमिंटन एक बहुत ही मुश्किल खेल है. मैंने प्रकाश पादुकोण से अब तक खिलाड़ियों की कई पीढ़ियों को देखा है. एक खिलाड़ी के पास पूरे साल पीक टाइम नहीं हो सकता है. आपको चुनना होता है. ये एक चक्र है. एक खिलाड़ी साल में तीन से चार बार अपने चरम पर हो सकता है.

हम निश्चित तौर पर पी.वी. सिंधु से बहुत ज्यादा उम्मीद कर रहे हैं. वो एक उत्कृष्ट खिलाड़ी हैं और उन्होंने अविश्वसनीय रूप से बैडमिंटन खेला है. मुझे याद है कि रियो फाइनल में वो कैरोलिना मारिन से कहीं भी कमतर नहीं थी, बस वो दिन उनका नहीं था. सिंधु का असल खेल उस टूर्नामेंट में तब सामने आया था जब उन्होंने दुनिया के बेस्ट खिलाड़ियों को हराया था.

अभी वो थकी हुई और तनाव में है. लेकिन वो एक महान एथलीट है और जापान के लिए उड़ान भरने से पहले शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होंगी. वो स्वर्ण जीत सकती है.

Q.शिवम दुबे ने वेस्टइंडीज के खिलाफ टी20 सीरीज में अच्छा प्रदर्शन किया है और अब उन्हें एकदिवसीय सीरीज में भी चुना गया है. तो क्या आपको लगता है कि टीम इंडिया शिवम में हार्दिक पांड्या के लिए एक बैकअप विकल्प खोज सकती है?

A- शिवम अभी बहुत नए हैं लेकिन उनके पास इस स्तर के लिए जो होना चाहिए वो है. बड़े शॉट लगाने की उनकी क्षमता जबरदस्त है लेकिन उनके बैकलिफ्ट में अभी तकनीकी समस्या है. उनका बैकलिफ्ट क्विंटन डी कॉक की तरह है. उनका बल्ला तीसरी स्लिप से आता है न कि पीछे से. ये उसकी स्थिरता को प्रभावित करेगा. उनके कोच चंद्रकांत पाटिल ने उन पर काम किया है और मुझे उम्मीद है कि वो सुधर जाएंगे.

Last Updated : Dec 14, 2019, 3:51 PM IST

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