त्रिलोक रावत और उनके दो बेटों ने टिहरी झील में तैराकी का रिकॉर्ड बनाया टिहरी (उत्तराखंड):एशिया के सबसे ऊंचे टिहरी बांध की झील में एक पिता अपने दो पुत्रों के साथ बिना लाइफ जैकेट के तैराकी करने उतरे. टिहरी के भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश नौटियाल ने हरी झंडी दिखाकर, टिहरी जिले के मोटना निवासी त्रिलोक सिंह रावत और उनके दो बेटों ऋषभ और पारस को उनके अभियान पर रवाना किया. पिता पुत्रों ने इस बार 15 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया. त्रिलोक रावत और उनके दो बेटे कोटी कॉलोनी से स्यांसु पुल तक तैरकर पहुंचे.
टिहरी झील में बिना लाइफ जैकेट तैराकी टिहरी झील में सबसे लंबी तैराकी: 25 सितंबर 2023 को एशिया के सबसे ऊंचे टिहरी बांध की झील में बिना लाइफ जैकेट पहने सुबह 8 बजे कोटी कॉलोनी से तैराकी शुरू कर दी. करीब 3 घंटे तैरने के बाद तीनों लोग भल्डियाणा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने नया रिकॉर्ड बनाने के लिए आगे तैराकी शुरू कर दी. त्रिलोक सिंह रावत का कहना है कि पिछली बार हमने कोटी कॉलोनी से भल्डियाणा तक तैराकी कर राज्य स्तरीय रिकॉर्ड बनाया था. इस बार हमने कोटी कालोनी से कंडीसौड़ तक तैराकी करने का लक्ष्य रखा है.
रावत फैमिली ने 5.30 घंटे में की 15 किमी तैराकी रावत फैमिली का तैराकी अभियान:आपको बता दें कि इससे पहले त्रिलोक सिंह रावत ने अपने दो पुत्रों ऋषभ रावत और पारसवीर के साथ 30 सितंबर 2021 को कोटी कॉलोनी से भालड़ियाना तक बिना लाइफ जैकेट के तैराकी की थी. 42 स्क्वायर किमी में फैली टिहरी झील में टिहरी जिले के प्रतापनगर के मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत और उनके दो पुत्रों ने टिहरी झील में सवा 12 किलोमीटर तैराकी की थी. ऋषभ रावत और पारसवीर रावत ने जहां यह दूरी साढ़े तीन घंटे में तय की थी, वहीं पिता त्रिलोक सिंह रावत ने सवा चार घंटे में इसे तय किया था. किसी भी व्यक्ति ने पहली बार टिहरी झील में तैर कर इतनी दूरी तय की थी. इसके लिए विधिवत रूप से जिला प्रशासन से अनुमति ली गई थी. त्रिलोक सिंह रावत का कहना है कि अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए उन्होंने तैरने का फैसला लिया था.
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बिना लाइफ जैकेट के करते हैं तैराकी:टिहरी झील किनारे कोटी कालोनी में आज सुबह 8 बजे आईटीबीपी की टीम की निगरानी में मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत (50) और उनके बेटे ऋषभ (20) और पारसवीर (17) ने तैराकी शुरू की. त्रिलोक सिंह रावत और उनके बेटों ने भल्डियाणा तक सवा 12 किलोमीटर की दूरी तैरकर तय की. त्रिलोक सिंह रावत सवा चार घंटे में पहुंचे तो उनके बेटे ऋषभ और पारसवीर साढ़े तीन घंटे में भल्डियाणा तक पहुंचे. इसके बाद उन्होंने स्यांसु पुल पर अपना 15 किलोमीटर का अभियान संपन्न किया.
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