हैदराबाद:भारतीय महिला हॉकी के मुख्य कोच शोएर्ड मारिन चाहते हैं कि उनकी टीम टोक्यो ओलंपिक में कोर्ट पर उतरते समय निडर और स्वतंत्र रूप से खेले. उन्होंने कहा, वे परिणाम का स्वागत करेंगे.
टीम टोक्यो में अपने लगातार दूसरे ओलंपिक में भाग लेगी और बेहतर फिटनेस, बेहतर मैच जागरूकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और मजबूत टीमों के खिलाफ उनके कौशल के हालिया प्रदर्शन के कारण रानी रामपाल के नेतृत्व वाली टीम से उम्मीदें आसमान छू गई हैं. साल 1980 के मास्को ओलंपिक में ग्रीष्मकालीन खेलों में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हुआ था, जहां वे चौथे स्थान पर रहे.
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कोच ईटीवी भारत को बताते हैं कि भारत में डार्क हॉर्स बनने की क्षमता है. लेकिन साथ ही वे यथार्थवादी भी होंगे. कोच चाहते हैं कि उनकी टीम सबसे बड़े खेल आयोजन का आनंद उठाए. क्योंकि उनके खिलाड़ी टोक्यो में एक बड़ी चुनौती के लिए खुद को तैयार किए हैं.
प्रश्न: फिटनेस एक ऐसी चीज है, जिसमें भारतीय हॉकी टीम में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. आप उनकी फिटनेस की तुलना अन्य मजबूत टीमों से कैसे करेंगे और ओलंपिक में टीम के लिए यह क्या भूमिका निभाएगा?
उत्तर: हमारी फिटनेस अच्छी है, लेकिन मुझे नहीं पता कि दूसरी टीमें कैसा प्रदर्शन कर रही हैं. मैंने उन्हें ट्रेनिंग करते नहीं देखा. मैं अन्य देशों के साथ तुलना नहीं करूंगा. टोक्यो में फिटनेस बेहद अहम होगी. पहले मैच में हर कोई तैयार होगा और आपको इंतजार करना होगा और देखना होगा कि आखिरी मैच तक उनका प्रदर्शन कैसा रहता है. उन्होंने पूरे साल पूरी ट्रेनिंग ली है और इस टीम में हर कोई बहुत फिट हैं.
प्रश्न: ओलंपिक के रैंकिंग में सिर्फ दो टीमें भारतीय टीम से नीचे हैं. क्या आपको लगता है कि ये टीम डार्क हॉर्स हो सकती है और सभी को चौंका सकती है?
उत्तर: बेशक यह टीम ओलिंपिक में डार्क हॉर्स हो सकती है, हमें पूरा भरोसा है. हम रैंकिंग जानते हैं, लेकिन हम रैंकिंग को महसूस नहीं करते. जब हम उच्च रैंक वाली टीम के साथ खेलते हैं, तो हम निम्न रैंक वाली टीम होने के बारे में नहीं सोचते हैं. यह सिर्फ इसलिए है, क्योंकि हमारे पास आत्मविश्वास है और उस विशेष दिन पर, जब मैच हो तो रैंकिंग कोई मायने नहीं रखती. इस भारतीय महिला टीम से इस समय काफी उम्मीदें हैं, केवल दो टीमें निचली रैंक की हैं. हम यथार्थवादी होने की भी कोशिश कर रहे हैं. हम मैच दर मैच खेलेंगे. हमें अपनी गुणवत्ता पर भरोसा है और यह मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है.
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प्रश्न: टूर्नामेंट बहुत बड़ा है, मानसिक मजबूती भी काम आती है. क्या आपको लगता है कि ओलंपिक में भाग लेना टीम के लिए भी मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण होने वाला है?