नई दिल्ली : निशानेबाजी वो खेल है जो राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को हमेशा से ज्यादा से ज्यादा पदक दिलाता है. 2018 में ऑस्ट्रेलिया के गोल्डकोस्ट में आयोजित किए गए खेलों में भारत ने कुल 66 पदक जीते थे, जिनमें से 16 पदक सिर्फ निशानोबाजी में थे. भारत ने 2018 में इन खेलों में पदक तालिका में तीसरा स्थान भी हासिल किया था.
भारत की पदक तालिका पर फर्क पड़ेगा
निशानेबाजी के न होने से निश्चित ही भारत की पदक तालिका पर फर्क पड़ेगा और साथ ही खिला़ड़ियों से एक बड़ा मंच भी छिन जाएगा, जहां वह अपने आप को परख और साबित कर सकते थे. इस सबंध में एक समाचार एजेंसी ने भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के सचिव राजीव भाटिया से बात की तो उन्होंने कहा कि संघ ने बहुत कोशिश की कि ऐसा न हो, लेकिन आयोजन समिति अपनी बात पर अड़िग है.
भारत के लिए बड़ा झटका
भाटिया ने कहा, ये सिर्फ निशानेबाजी के लिए नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए बड़ा झटका है. भारत पदक तालिका में जो ऊपर रहता है, उसका एक बड़ा कारण निशानेबाजी से आने वाले पदक होते हैं. 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी को बाहर करने को लेकर चर्चा काफी पहले से थी. भाटिया से जब पूछा गया कि इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए थे तो उन्होंने कहा कि कोशिशें बहुत की गईं लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.
आयोजन समिति मानने को ही तैयार नहीं
भाटिया ने कहा, आपको मैं क्या बताऊं कि हमने क्या क्या नहीं किया लेकिन आयोजन समिति हमारी सुनने को तैयार नहीं थी. उसने हमसे कहा कि हम निशानेबाजी पर पैसा खत्म नहीं करना चाहते. फायनेंस ही उन्होंने एक मात्र कारण दिया. वो कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं. हमने काफी कुछ किया, हमने इस पर संसद में बहस भी करवाई, लेकिन आयोजन समिति मानने को ही तैयार नहीं है. अब हम कुछ नहीं कर सकते, नहीं है तो नहीं है. वो सुनने को तैयार नहीं हैं,हम वहां जबरदस्ती नहीं जा सकते.
खेलों का बहिष्कार कर देना चाहिए
पहले जब इस तरह की बात उठी थी तो एनआरएआई के अध्यक्ष रनिंदर सिंह ने यहां तक कह दिया था कि अगर निशानेबाजी को बाहर किया जाता है तो खेलों का बहिष्कार कर देना चाहिए. इस पर भाटिया से जब प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने कहा, इस पर कोई फैसला लेना है तो सरकार को लेना है या आईओए को लेना है. हम तो बस एक छोटा से एलिमेंट हैं.