चेन्नई :भारतीय शतरंज के नये सितारे आर प्रगनानंद बाकू में खेल जा रहे विश्व कप में जब इस खेल में नया इतिहास रच रहे थे तब एक कोने में खड़ी उनकी मां नागलक्ष्मी की आंखों में चमक और चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान देखी जा सकती थी.
18 साल के प्रगनानंद का मंगलवार को विश्व कप के फाइनल में पांच बार के चैंपियन मैग्नस कार्लसन से सामना है. वह दिग्गज विश्वनाथ आनंद के बाद शतरंज विश्व कप के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय है.
टूर्नामेंट के दौरान प्रगनानंद की मां की मौजूदगी ने पूर्व महान खिलाड़ी गैरी कास्पारोव को अपने खेल के दिनों की याद दिला दी. कास्परोव ने कहा कि जब वह खेलते थे तब उनकी मां भी उनके साथ मौजूद रहती थी और इसने उनके खेल में काफी मदद की.
भारतीय खेल जगत में ऐसे कई उदाहरण है जहां बच्चों के करियर को आकार देने में माता-पिता का व्यापक प्रभाव रहा है. विश्वनाथन आनंद की लगभग साढ़े तीन दशक पुरानी तस्वीर आज भी प्रशंसकों के जेहन में है जिसमें वह 64 खानों के इस खेल को अपनी मां सुशीला के साथ खेल रहे हैं.
विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में प्रगनानंद जब अर्जुन एरिगैसी को हराकर मीडिया से बातचीत कर रहे तब नागलक्ष्मी चेहरे पर मुस्कान और आत्मसंतुष्टि के साथ अपने बेटे को निहार रही थी. यह तस्वीर जल्दी ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी.