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Asian Games 2023: गोल्ड मेडल जीतने वाली पारुल चौधरी ने बताया अपनी जीत का खास राज

एशियन गेम्स 2023 (Asian Games 2023) में मेरठ की बेटी पारुल चौधरी (Parul Chaudhary) ने 5000 मीटर की दौड़ प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया. उनके स्वागत के लिए केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान (Union Minister Sanjeev Baliyan) समेत सैकड़ों गांव के लोग पहुंचे थे. इस मौके पर उन्होंने अपनी सफलता के उस राज से मीडिया को रूबरू कराया जिसकी वजह से उन्होंने गोल्ड मेडल जीता.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 8, 2023, 9:18 AM IST

मेरठ में हुआ पारुल चौधरी का भव्य स्वागत.

मेरठ:चीन के हांगझोऊ शहर में आयोजित एशियन गेम्स 2023 भारतीय एथलीटों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 107 मेडल देश की झोली में डाल दिए. इस एशियन गेम्स में उत्तर प्रदेश के एथलीटों ने भी ऐतिहासिक प्रदर्शन किया. वहीं, मेरठ की बेटी पारुल चौधरी ने 5000 मीटर की दौड़ में गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया. वतन वापसी के बाद मेरठ में खुद केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान पारुल चौधरी के स्वागत के लिए पहुंचे थे. इस दौरान मेरठ की बेटी का जोरदार स्वागत किया गया. गोल्ड मेडल जीतने वाली मेरठ की बेटी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

परिवार के साथ पारुल चौधरी.

चीन में आयोजित हुए एशियन गेम्स -2022 में भारत के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है. मेरठ के क्रांतिधरा इकलौता गांव की बेटी पारुल चौधरी ने अपने शानदार प्रदर्शन से देश वासियों को डबल खुशी दी है. बता दें कि कोरोना की वजह से पिछले साल एशियन गेम्स आयोजित नहीं किए गए थे लेकिन उसके बाद भी पारुल ने अपना नियमित अभ्यास जारी रखा. अपने कठिन परिश्रम के बल पर जहां 3000 मीटर स्टीपलचेज में सिल्वर मेडल देश को दिलाया. वहीं, 24 घंटे में ही अगले दिन महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में प्रतिभाग करके किसान की बेटी ने देश की झोली में गोल्ड डालकर देश वासियों की खुशी डबल कर दी.

मेरठ में पारुल चौधरी पर बरसाए गए फूल.

कड़ी मेहनत से मिलता है सबकुछ
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान गोल्ड मेडलिस्ट मेरठ की बेटी पारुल चौधरी ने बताया कि हर एक एथलीट की लाइफ में संघर्ष होता है. समय के हिसाब से सब कुछ बदलता चला जाता है. पारुल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार है. प्रदेश सरकार का अगर कोई खिलाड़ी नेशनल गेम्स में भी मेडल लाता है तो उस खिलाड़ी को ईनाम में 2 लाख रूपये मिलते हैं. वह कहना चाहेंगी कि खिलाडियों को अनुशासन में रहते हुए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. खिलाड़ी जो नहीं भी सोचते हैं वह उन्हें कड़ी मेहनत से मिला जाता है.

ग्रामीण इलाकों के निकल रहे अधिक खिलाड़ी
गोल्ड मेडलिस्ट पारुल ने बताया कि उनके गांव में स्कूल भी नहीं था. इसके बावजूद भी वह दूसरे गांव में पढ़ने पैदल जाती थी. उसी तरह जब उन्होंने तैयारी शुरू की तो मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम तक भी वह घर पैदल जाती थी. जहां स्टेडियम उनके घर से तीन से चार किलोमीटर दूर था. उनके पिता गांव के एक छोटे किसान हैं. ऐसे में उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. लेकिन वह अपनी जरूरतों और घर के हालातों की वजह से अपने लक्ष्य को लेकर सजग थी. उन्होंने बताया कि आज ग्रामीण क्षेत्रों की खिलाड़ी अधिक निकल रहे हैं. उन सभी खिलाड़ियों की स्थिति भी ठीक नहीं है. ऐसे में सभी खिलाड़ियों के जीवन में संघर्ष आता है. लेकिन एक वक्त के बाद सबकुछ ठीक हो जाता है.

पारुल चौधरी के नाम से बनेगी सड़क
गोल्ड मेडलिस्ट पारुल ने बताया कि उनके स्वागत के लिए क्षेत्र के अलग-अलग गांवों के लोग ट्रैक्टर और चार पहिया वाहन लेकर पहुंचे थे. मेरठ शहर से लेकर गांव तक लोगों ने उनके स्वागत के लिए रोड शो किया. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान भी उनके स्वागत में पहुंचे थे. केंद्रीय मंत्री भी उनके स्वागत के रोड शो में शामिल हुए. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने पारुल के गांव तक बहुत ही जल्द सड़क निर्माण कराने का भरोसा दिया. इसके साथ ही उन्होंने पारुल चौधरी के नाम से सड़क निर्माण का ऐलान किया.

शादी नहीं ओलंपिक में मेडल जीतना है लक्ष्य
गोल्ड मेडलिस्ट पारुल ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह जिस सड़क पर पैदल अभ्यास के लिए निकलती थी. आज उस सड़क का नामकरण ही उनके नाम से कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह अगले 10 से 15 दिनों तक अपने घर पर ही रहेंगी. इसके बाद वह दोबारा से अपना लक्ष्य पाने के लिए अभ्यास शुरू कर देंगी. शादी के बारे में पूछे जाने पर पारुल ने कहा कि उन्होंने अभी इसके बारें में नहीं सोचा है. अब उनका लक्ष्य ओलंपिक में मेडल लाने पर है. उन्होंने कहा कि ओलंपिक के लिए अब अधिक समय नहीं बचा है. अब केवल 10 माह ही बाकी है. वह अपने देश के लिए बहुत कुछ करना चाहती हैं.


सीएम योगी खिलाड़ियों के लिए बहुत कर रहे हैं
पारूल चौधरी ने कहा कि बचपन से ही उनके मन में एक सपना था कि उन्हें खाकी वर्दी पहनी है. उन्हें खाकी वर्दी बेहद पसंद है. वह हमेशा पुलिस में होना चाहती थी. लेकिन सीएम योगी द्वारा पूर्व में खिलाड़ियों को लेकर दिए गए बयान का जिक्र करते हुए गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी ने कहा कि सीएम प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं. उनका सपना है कि पुलिस में डिप्टी एसपी के पद पर ज्वॉइन करूं.

2018 में नहीं हुई थी क्वालीफॉई
पारुल चौधरी ने बताया कि 2018 में जब एशियन गेम्स हुए थे. लेकिन वह वहां नहीं जा पाई थी. जिसकी वजह से उन्हें बहुत दुःख हुआ था. उनके दिमाग में चल रहा था कि वह 4 साल पहले क्वालीफॉई क्यों नहीं कर पाई थी. जब भी वह दौड़ती थी तो वह सोचती थी. सिल्वर तो उन्होंने ले लिया है. अब देश के लिए गोल्ड जीतना है. इसके अलावा डिप्टी एसपी बनना भी उनके जेहन में है. उनके दिल और दिमाग में यही चल रहा था कि अगर गोल्ड जीतती हूं तो डिप्टी एसपी बन सकती हूं. इसलिए अगले 10 सेकंड तक वह यही सोचकर दौड़ती रही.


ओलंपिक में बेटी जीते मेडल
पारुल ने कहा कि वह ईश्वर की कृपा, फैमिली, कोच, सपोर्टिंग स्टॉफ और देशवासियों के आशीर्वाद से उन्होंने पूरा दमखम लगाया जिसकी वजह से उनका सपना पूरा हो गया. उन्होंने कहा कि एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया खिलाड़ियों का बहुत सपोर्ट करती है. इसके साथ ही भारत सरकार सभी खिलाड़ियों का सपोर्ट करती है. वहीं, पारुल की मां राजेश देवी ने ईटीवी को बताया कि उनकी बेटी ने बहुत मेहनत की थी. वह चाहती हैं कि और मेहनत कर उनकी बेटी ओलंपिक में भी मेडल हासिल करे.

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