झारखंड : एशियन हॉकी फेडरेशन ने भारतीय महिला हॉकी प्लेयर सलीमा टेटे को अगले दो वर्षों के लिए एथलेटिक एंबेसडर नियुक्त किया है. सलीमा को फेडरेशन ने एशिया के इमजिर्ंग प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड से भी नवाजा है. झारखंड के सिमडेगा जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली सलीमा ने ओलंपिक, कॉमनवेल्थ, वर्ल्डकप सहित कई इंटरनेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है. उन्होंने अपनी परफॉर्मेंस से देश-दुनिया का दिल जीता है. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए सलीमा ने काफी संघर्ष किया है.
हॉकी खिलाड़ी सलीमा टेटे का परिवार सिमडेगा के बड़की छापर गांव में आज भी एक कच्चे मकान में रहता है. उनके पिता सुलक्षण टेटे भी स्थानीय स्तर पर हॉकी खेलते रहे हैं. उनकी बेटी सलीमा ने जब गांव के मैदान में हॉकी खेलना शुरू किया था, तब उनके पास एक अदद हॉकी स्टिक भी नहीं थी. सलीमा बांस की खपच्ची से बने स्टिक से हॉकी खेलती थीं. नवंबर 2013 में सलीमा को झारखंड सरकार की ओर से सिमडेगा में चलाए जाने वाले आवासीय हॉकी सेंटर से चुना गया और उसी साल दिसंबर के अंतिम सप्ताह में रांची में आयोजित राष्ट्रीय विद्यालय हॉकी प्रतियोगिता के लिए झारखंड टीम में भी चुनी गईं.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनका सफर 2016 में शुरू हुआ था. 2016 में सलीमा को जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए चुना गया था. इसके बाद टोक्यो ओलंपिक, विश्व कप, कॉमनवेल्थ गेम्स सहित कई अंतर्राष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंटों में उन्होंने देश की ओर से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया. टोक्यो ओलंपिक में सलीमा के खेल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहना की थी. टोक्यो ओलंपिक में जब भारतीय महिला हॉकी टीम क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेल रही थी. उस दौरान टीम में शामिल सलीमा टेटे के पैतृक घर में एक अदद टीवी तक नहीं था, जिससे उनके घरवाले उन्हें खेलते हुए देख सकें. इसकी जानकारी जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हुई तो तुरंत उनके घर में 43 इंच का स्मार्ट टीवी और इन्वर्टर लगवाया था.