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निखत जरीन ने खेल मंत्री को लिखा पत्र, अभिनव बिंद्रा से मिला समर्थन - खेल मंत्री

51 किलोग्राम भारवर्ग मुक्केबाज निखत जरीन ने खेल मंत्री किरण रिजिजू को पत्र लिखकर ओलंपिक क्वालीफायर में पारदर्शिता बरतने की गुहार लगाई है.

Nikhat

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Published : Oct 17, 2019, 8:56 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के अध्यक्ष अजय सिंह द्वारा ओलंपिक क्वालीफायर के लिए ट्रायल आयोजित न करने और 51 किलोग्राम भारवर्ग में एमसी मैरी कॉम को सीधे प्रवेश देने के बयान के बाद महिला मुक्केबाज निखत जरीन ने इस संबंधन में देश के खेल मंत्री किरण रिजिजू को पत्र लिखा है. निखत ने अपने पत्र में खेल मंत्री से पारदर्शिता बरतने की गुहार लगाई है.

निखत ने बुधवार को ही बता दिया था कि वो ट्रायल्स न होने की खबर सुनकर निराश हैं और इसलिए खेल मंत्री को पत्र लिखेंगी.

उन्होंने गुरुवार को रिजिजू को पत्र लिखा जिसे उन्होंने ट्वीटर पर भी साझा किया.

निखत ने लिखा,"मैं सिर्फ एक सही मौका चाहती हूं. मैं जिस चीज के लिए अभ्यास कर रही हूं उसके लिए मुझे मौका नहीं मिला तो क्या मतलब. खेल का मतलब सभी के साथ ईमानदारी से पेश आना है. मैं अपने देश पर भरोसा नहीं खोना चाहती. जय हिंद."

निखत ने अपने पत्र में अमेरिका के दिग्गज तैराक माइकल फेल्प्स का जिक्र किया है जिन्हें ओलंपिक खेलने के लिए हर बार ट्रायल्स से गुजरना पड़ता था. साथ ही निखत ने ये भी लिखा है कि मैरी कॉम उनके लिए आदर्श हैं.

निखत ने लिखा,"मैं जब छोटी थी तब मैं मैरी कॉम से प्रभावित हुई थी. इस प्रेरणा के साथ न्याय करने का एक ही तरीका था कि मैं उन जैसी मुक्केबाज बनूं. और मैरी कॉम खेल में प्रतिस्पर्धा से छुपने के लिए और अपना ओलंपिक क्वालीफिकेशन बचाने के लिहाज से बहुत बड़ा नाम हैं."

खेल मंत्री किरण रिजिजू

उन्होंने लिखा,"23 बार के स्वर्ण पदक विजेता माइकल फेल्प्स को भी ओलंपिक के लिए हर बार क्वालीफाई करना पड़ा था, हम सभी को भी यही करना चाहिए."

तेलंगाना की रहने वाली इस मुक्केबाज ने लिखा,"मैं आपको एक महिला खिलाड़ी के तौर पर ये पत्र लिख रही हूं जो खेल में अपनी पहचान बनाना चाहती है और देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाना चाहती है."

मुक्केबाज निखत जरीन

निखत को ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा का भी समर्थन मिला है. उन्होंने निखत के ट्वीट को रिट्वीट किया है.

बिंद्रा ने लिखा,"मैं मैरी कॉम का बहुत सम्मान करता हूं. हकीकत ये है कि एक खिलाड़ी को अपनी जिंदगी में हर दिन प्रमाण देना पड़ता है और वो प्रमाण ये होता है कि हम कल से भी अच्छे आज हैं. खेल में बीता कल गिना नहीं जाता."

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