नई दिल्ली:टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारतीय खिलाड़ियों ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. इस गौरव गाथा के नायक रहे नीरज चोपड़ा, जिनके भाले ने भारत के ओलंपिक इतिहास का सुनहरा अध्याय लिख डाला. वहीं आठ बार की ओलंपिक चैम्पियन भारतीय हॉकी का चार दशक पुराना इंतजार कांस्य पदक के साथ खत्म हुआ तो क्रिकेट में आईसीसी टूर्नामेंटों में भारत की झोली खाली रहने के बाद विराट कोहली और रवि शास्त्री के दौर का अंत हो गया.
साल 2021 में दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार के पतन को भी खेलप्रेमियों ने देखा. ओलंपिक में ट्रैक और फील्ड स्पर्धा में पहली बार राष्ट्रगान बजा तो टीवी पर नजरें गड़ाए बैठे एक अरब से अधिक भारतीयों की आंखें नम हो गईं. आजादी के बाद से 74 साल में ओलंपिक में ट्रैक और फील्ड पर भारत को पहला चैम्पियन मिला और पूरे देश ने उसे सिर आंखों पर बिठा लिया. यह लाजमी भी था, क्योंकि अतीत में एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक से मामूली अंतर से चूकने का दर्द दो बार भारत ने झेला था.
अभिनव बिंद्रा ने साल 2008 बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीता था, जिसके बाद ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत का यह दूसरा स्वर्ण था. भारत ने ओलंपिक में छह और पदक जीते. पहले ही दिन मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में 49 किलो वर्ग में 202 किलो वजन उठाकर भारत का खाता खेाला. रियो ओलंपिक 2016 में एक भी वैध लिफ्ट नहीं कर सकी मीराबाई चानू ने टोक्यो के रजत से दृढ़ इच्छाशक्ति, जुझारूपन और लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्धता की एक नई दास्तान लिख डाली.
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एक और इतिहास रचा गया हॉकी के मैदान पर. ओलंपिक में भारत के दबदबे की कहानियां सुनकर बड़े हुए साधारण परिवारों से आए लड़कों ने 41 साल बाद पोडियम पर खड़े होकर उस गौरवशाली इतिहास की यादें ताजा करा दीं. कप्तान मनप्रीत सिंह और दीवार की तरह गोल के आगे डटे रहने वाले पीआर श्रीजेश की अगुवाई में भारतीय खिलाड़ियों ने टोक्यो में प्लेआफ में जर्मनी को 5.4 से हराकर कांस्य पदक जीता.
भारतीय महिला टीम शुरूआती तीन मैच हारने के बाद वापसी करते हुए पदक तक पहुंची, लेकिन उसे चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा. यह भी कम उपलब्धि नहीं थी और इसने महिला हॉकी को गंभीरता से लेने के लिए खेलप्रेमियों को विवश किया. महिला हॉकी को उसका सम्मान और स्थान दिलाया.
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