पंचकूला:गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने नेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट्स साइंस एंड रिसर्च में न केवल अपनी ओलंपिक यात्रा के बारे में बात की. बल्कि यह भी बताया कि कैसे भारत में खेल समग्र रूप से विकसित हुए हैं. खासकर जब खेल विज्ञान और बायोमैकेनिक्स की बात आती है.
आगामी एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल गेम्स (सीडब्ल्यूजी) के लिए फिनलैंड में प्रशिक्षण लेने वाले नीरज ने ऑनलाइन सत्र में भाग लिया और कहा कि स्पोर्ट्स विज्ञान और बायोमैकेनिक्स के तकनीकी ज्ञान के साथ एक एथलीट के रूप में विकसित होने और विश्व स्तर का प्रदर्शन करने में मदद मिलती है.
उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि विश्वस्तरीय प्रदर्शन देने में सक्षम होने के लिए स्पोर्ट्स साइंस और बायोमैकेनिक्स जैसी चीजें आपके नियमित प्रशिक्षण के लिए बहुत मायने रखती हैं. इसके अलावा, स्पोर्ट्स विज्ञान का ज्ञान होने से आपको पोषण, आहार, रिकवरी और बायोमैकेनिक्स जैसी चीजों को तकनीकी रूप से समझने में भी मदद मिलती है.
एनसीएसएसआर हरियाणा सरकार, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) और स्पोर्ट्स विज्ञान और विश्लेषिकी केंद्र, आईआईटी मद्रास के सहयोग से युवा खेलों में उच्च प्रदर्शन के लिए तकनीकी और खेल विज्ञान अभ्यास का सहारा ले रहे हैं. यह पहली बार है कि युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) ने इतनी बड़ी पहल की है और देश में स्पोर्ट्स विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए एनसीएसएसआर की स्थापना की है. विशेष रूप से खेलो इंडिया यूथ गेम्स जैसे आयोजन का उपयोग करके और पहल का प्रचार किया है.
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एनसीएसएसआर प्लेटफॉर्म के साथ, मंत्रालय का उद्देश्य एथलीटों को न केवल उनके प्रदर्शन में सुधार करने में मदद करना है, बल्कि चोट से भी बचना है. इस पहल को शुरू करने के लिए खेल मंत्रालय पहले ही खेल विज्ञान विशेषज्ञों के लिए 400 पद सृजित कर चुका है, जिनमें से 250 पहले से ही साई के साथ काम कर रहे हैं. एनसीएसएसआर में नीरज के सत्र से ठीक पहले साई ने आईआईटी-मद्रास के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए, जहां आईआईटी-एम अब देश में एथलीटों के विकास के लिए अपनी तकनीक और बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञता इनपुट प्रदान करेगा.