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मुझे लगता है, भगवान ने मुझे खेल के लिए चुना: मैरी कॉम

वो हालांकि अभी भी इस बात को लेकर हैरान होती हैं कि वो खेल की दुनिया में कैसे आ गईं. मैरी कॉम ने एक वीडियो इंटरव्यू के दौरान कहा, "मेरी हमेशा से खेलों में रुचि थी, लेकिन मैं खेलों के महत्व और इसके फायदे को नहीं जानती थी."

mary kom
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Published : Jun 10, 2020, 10:32 PM IST

Updated : Jun 11, 2020, 12:02 AM IST

नई दिल्ली: मैरी कॉम बीते एक दशक से भारतीय मुक्केबाजी का चेहरा हैं. उन्हें सर्वकालिक महान एमेच्योर मुक्केबाजों में गिना जाता है.

वो हालांकि अभी भी इस बात को लेकर हैरान होती हैं कि वो खेल की दुनिया में कैसे आ गईं. मैरी कॉम ने एक वीडियो इंटरव्यू के दौरान कहा, "मेरी हमेशा से खेलों में रुचि थी, लेकिन मैं खेलों के महत्व और इसके फायदे को नहीं जानती थी."

उन्होंने कहा, "मुझे अपने गांव में लड़कों के साथ खेलना पसंद था क्योंकि लड़कियां तो कभी खेलती नहीं थीं. मेरे बचपन की स्थिति अभी की स्थिति से काफी अलग थी. उस समय सिर्फ लड़के ही खेला करते थे."

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि भगवान ने मुझे खेल के लिए चुना था क्योंकि मेरे खेल में आने और अपनी पूरी जिंदगी खेल को देने का कोई और कारण नहीं हो सकता. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस तरह का करियर बनाऊंगी. धीरे-धीरे मैं खेलों का महत्व समझने लगी कि अगर आप यहां अच्छा करेंगे तो आपको नौकरी के ज्यादा मौके मिलेंगे. अगर आप खेलों में कामयाब हो तो जिंदगी में भी कामयाब होगे."

मैरी ने कहा कि जब उन्होंने शुरुआत की थी तो महिला मुक्केबाजों की कमी थी.

37 साल की इस दिग्गज मुक्केबाज ने कहा, "यह खेल पुरुष प्रधान है. ये आमतौर पर पुरुषों का खेल समझा जाता है. इसलिए जब मैंने मुक्केबाजी की शुरुआत की थी तो मेरे लिए ये काफी मुश्किल था. मेरे अलावा एक या दो लड़कियां ट्रेनिंग कर रही थीं, इसलिए मुझे लड़कों के साथ ट्रेनिंग करनी पड़ी. मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि मुक्केबाजी सिर्फ पुरुषों का खेल नहीं है. अगर पुरुष खेल सकते हैं तो महिला भी खेल सकती हैं."

Last Updated : Jun 11, 2020, 12:02 AM IST

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