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'पुरस्कार समिति में मेरे रहने से दोगुनी हो जाती समस्या'

छह बार की विश्व चैंपियन मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम द्रोणाचार्य पुरस्कार चयन समिति और ट्रायल संबंधित विवादों से काफी नाराज दिखीं और उन्होंने कहा कि इनका सीधा असर उन पर पड़ता है.

mary kom

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Published : Aug 21, 2019, 7:24 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 7:35 PM IST

नई दिल्ली: ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता मैरी कॉम ने द्रोणाचार्य पुरस्कार चयन समिति की शनिवार को हुई बैठक से खुद को अलग कर लिया.उनके कोच छोटेलाल यादव इस पुरस्कार की दौड़ में थे, चयन पैनल में मैरीकॉम के शामिल होने की आलोचना हो रही थी. मुक्केबाजी महासंघ ने यादव का नाम मैरीकॉम की सलाह पर भेजा था.

इसके बारे में पूछने पर मैरीकॉम ने यहां अखिल भारतीय गेमिंग महासंघ (एआईएफएफ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि पहले विवाद खड़ा कर दिया, फिर इस पर सवाल पूछे जा रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण था. मैं पहले भी चेयरमैन (पुरस्कार चयन समिति में) थी, इस बार भी मैं चयन समिति में थी. दूसरी बार मैं समिति में थी. उस समय उन दिनों में क्या कोई विवाद हुआ था? मैंने कई कोचों की भी सिफारिश की थी, इस बार क्या हुआ, पता नहीं.

एमसी मैरी कॉम

यह पूछने पर कि इसलिए आपने समिति की बैठक से हटने का फैसला किया. उन्होंने कहा, 'बिलकुल. क्यों नहीं. मैं रहूंगी तो फिर इससे फिर से 'दोगुनी' समस्या होगी. इससे फिर एक अन्य परेशानी खड़ी हो जाएगी. इसका असर मुझ पर पड़ रहा है. मैं बार बार इससे उबर रही हूं. जो भी द्रोणाचार्य पुरस्कार हकदार है, उसे चुना जाना चाहिए. निश्चित रूप से उसका योगदान अहम है.

विश्व चैंपियनशिप के लिए चुई गई 10 सदस्यीय टीम में मैरीकॉम को बिना ट्रायल के शामिल किया गया. इसके बाद निकहत जरीन 51 किग्रा में ट्रायल नहीं कराने से खफा थीं. भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने मैरीकॉम के प्रदर्शन और पदक की दावेदारी को देखते हुए टीम में शामिल करने का फैसला किया.

एमसी मैरी कॉम

टीम चयन के लिये ट्रायल हटाने के बारे में पूछने पर मैरीकॉम ने कहा कि यह मेरे हाथ में नहीं है. बीएफआई सबकुछ देखता है, सरकार सबकुछ देख रही है. जो अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें सीधे ही किसी भी टूर्नामेंट के लिये कोटा मिल जाना चाहिए.

अन्य खेलों में भी देखो, जैसे बैडमिंटन. उसमें कौन ट्रायल देता है. किसने ट्रायल दिया. सायना नेहवाल या पीवी सिंधु ने ट्रायल दिया. लेकिन हमारे खेल में ट्रायल-ट्रायल. कभी कभार, अजीब सा भी लगता है. मैंने स्पष्ट रूप से बताया कि कौन बेहतर कर रहा है, कौन नहीं.90 साल में जीती थी 800 मीटर की रेस, 100 साल की उम्र में निधन

Last Updated : Sep 27, 2019, 7:35 PM IST

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