नई दिल्ली : एशियन गेंम्स में भारत को कुश्ती में आखिरी कार दीपक पुनिया ने रजत पदक दिला ही दिया है. इस एशियन गेम्स में भारतीय पहलवानों का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है. लेकिन अंत में पूर्व विश्व जूनियर चैंपियन और सीनियर वर्ग में 2019 विश्व चैंपियनशिप के रजत विजेता दीपक पुनिया ने शनिवार पुरुषों की फ्रीस्टाइल 86 किलोग्राम कुश्ती में भारत को रजत पदक दिला दिया है. इसके साथ ही उन्होंने हांगझोउ में 19वें एशियाई खेलों में भारतीय कुश्ती के गौरव को बचा लिया है.
पुनिया, जो 2021 टोक्यो ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक से चूक गए, ने स्वर्ण पदक मैच तक पहुंचने के लिए शानदार संघर्ष किया, लेकिन रियो ओलंपिक खेलों के स्वर्ण पदक विजेता ईरान के हसन यज़दानिचराती के सामने झुक गए, जिन्होंने 86 किग्रा में 2021 में टोक्यो में रजत जीता और तीन बार विश्व चैंपियन रहे. ईरानी ने तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर पुनिया विक्ट्री को हराकर इंडोनेशिया में 2018 खेलों में जीते गए स्वर्ण का बचाव किया. उन्होंने छह मिनट के मुकाबले को 3 मिनट 31 सेकंड में जीता.
शनिवार को अन्य पहलवानों में, यश पुरुषों की फ्रीस्टाइल 74 किग्रा में क्वार्टर फाइनल में हार गए, सुमित पुरुषों की फ्रीस्टाइल 125 किग्रा के पहले दौर में कजाकिस्तान के पहलवान से हार गए, जबकि विक्की पुरुषों की फ्रीस्टाइल 97 किग्रा बाउट में कजाकिस्तान के अलीशेर येरगाली से हार गए. पुनिया ने शुरुआती दौर में कुछ प्रभावशाली जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की थी. उन्होंने उज्बेकिस्तान के जवराइल शापिएव को हराकर करीबी मुकाबला 4-3 से जीता. भारतीय टीम के कोच सुजीत मान ने पुनिया के प्रदर्शन से खुश होकर कहा कि पहलवान को पिछले साल कुछ चोटें लगी थीं.