हैदराबाद:भारतीय शटलर पीवी सिंधु की उपलब्धियां उनके सपनों के सच होने जैसा है. सबसे बड़े खेल आयोजन ओलंपिक में सिंधु ने अब तक दो पदक जीते हैं. सिंधु ने फोन पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा, मेडल जीतने की चाहत अभी खत्म नहीं हुई है.
बता दें, अपने नए कोच पार्क टेई सांग की गाइडेंस में पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना पूरा किया था. उन्होंने कड़े मुकाबले में कांस्य पदक जीता. यही आत्मविश्वास उनकी सबसे बड़ी ताकत है. दो ओलंपिक मेडल जीतने वाली सिंधु पहली महिला भारतीय खिलाड़ी हैं. रियो ओलंपिक में 21 साल की उम्र में जीता पहला पदक सिंधु के लिए आज भी खास है.
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साल 2021 में टोक्यो से अपना दूसरा ओलंपिक पदक जीतकर भारत लौटने पर सिंधु का जोरदार स्वागत किया गया था. वैसा ही स्वागत, जैसा उनकी पहली ओलंपिक जीत के बाद हुआ था. उन्होंने कहा, कुछ हासिल करने के लिए आपको हर दिन कड़ी मेहनत करनी होगी और अपना शत-प्रतिशत देना होगा. कड़ी मेहनत ही आपको सफलता की ओर ले जा सकती है, जहां आप हमेशा नंबर एक बनना चाहते हैं और सभी मैच जीतना चाहते हैं. ऐसा होने के लिए, आपको कड़ी मेहनत करनी होगी और उस पर चलते रहना होगा. पेश हैं पीवी सिंधु से बातचीत के कुछ अंश...
प्रश्न: क्या आपको टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड न जीत पाने का मलाल है?
पीवी सिंधु ने बताया, जब मुझे अपना पहला पदक मिला, तो यह कुछ अप्रत्याशित था. चांदी मिलना निश्चित रूप से बहुत बड़ी बात थी. लेकिन एक के बाद एक पदक जीतना भी आसान नहीं है. दरअसल, सेमीफाइनल में खेलने के बाद कांस्य पदक के लिए तीसरे और चौथे स्थान के लिए खेलना काफी कठिन होता है. हारने के बाद और मजबूत होकर वापसी करना बेहद कठिन है. उन्होंने कहा, ओलंपिक में पदक को हासिल करने से मुझे और भी खुशी हुई. मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया था. मैंने वास्तव में कभी नहीं सोचा था कि मैंने सोना खो दिया है, लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने कड़ी मेहनत की और ओलंपिक में पदक हासिल किया. उन्होंने कहा, मैं पेरिस ओलंपिक 2024 में खेलूंगी और अच्छा प्रदर्शन कर एक और पदक हासिल करना चाहूंगी.
प्रश्न: टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद आपको सबसे अच्छी तारीफ क्या मिली?
सिंधु ने बताया, बहुत सारे लोगों ने मुझे बधाई दी, मुझसे प्यार दिखाया और बधाई संदेश भेजा. सभी ने मुझसे कहा, लगातार पदक हासिल करना आसान नहीं है. खासकर टोक्यो में, और सेमीफाइनल के बाद खेलना. उन्होंने जो कहा, वह और भी कठिन था. वे यह भी समझते थे कि हार से वापसी करना कितना कठिन होता है. मेरे कोच ने भी मुझे बताया कि तीसरे और चौथे में काफी अंतर है. इसी वजह से मैं हारी.
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