नई दिल्ली : ज्वाला गुट्टा भारतीय बैडमिंटन की एक स्टार खिलाड़ी रही हैं और उन्होंने अपने दम पर कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खिताब मेडल जीतकर अपना परचम लहराया है. हालांकि वह कुछ अन्य वजहों से भी सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी रहीं. फिलहाल वह हैदराबाद में एक अकादमी चला रही हैं. आइए उनके जन्मदिन पर उनके बारे में जानने की कोशिश करते हैं.
भारत में महिला बैडमिंटन को जब भी याद किया जाता है, तो इसकी शुरुआत ज्वाला गुट्टा से की जाती है, जिसके बाद ओलंपिक पदक विजेता साइना नेहवाल और पीवी सिंधु का नाम लिया जाता है. कहा जाता है कि जैसे साइना नेहवाल और पीवी सिंधु ने एकल बैडमिंटन के क्षेत्र में अपना नाम कमाया तो वहीं ज्वाला गुट्टा युगल स्पर्धाओं की चैंपियन बनकर भारत की पोस्टर-गर्ल के रूप में उभरी थीं. ज्वाला गुट्टा को बैडमिंटन खेल में शानदार प्रदर्शन के लिए 2011 में अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में तहलका मचाने वाली महिला खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा का जन्म 7 सितंबर 1983 को भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के वर्धा जिले में हुआ था. इनके पिता का नाम एम.क्रांति गुट्टा और माता का नाम येलन गुट्टा है. इनके पिता तेलुगु और मां चीनी मूल की हैं. बताया जाता है कि ज्वाला गुट्टा की मां येलन गुट्टा पहली बार 1977 में अपने दादा जी के साथ भारत आयीं थीं और फिर यहां से वापस नहीं गयीं. इनकी बहन का नाम इंसी गुट्टा है और वह हैदराबाद में अपना बिजनेस करती हैं.
ज्वाला गुट्टा की प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद में ही हुई है. इसके बाद यहीं से 6 साल की उम्र में उन्होंने बैडमिंटन खेलना भी शुरू किया. बताया जाता है कि ज्वाला का शुरुआती झुकाव टेनिस की ओर था, लेकिन अपनी मां येलन के कहने पर बैडमिंटन खेलना शुरू किया. धीरे धीरे अपनी मेहनत के दम पर मिनी नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप से लेकर ओलंपिक तक का सफर तय किया.
ज्वाला गुट्टा का बैडमिंटन करियर ( Jwala Gutta Badminton Career)
बताया जाता है कि भारतीय बैडमिंटन की स्टार खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा की उम्र जब केवल 10 साल की थी तभी से इन्होंने बैडमिंटन खेल को लेकर अपनी प्रबद्धता जाहिर कर दी थी. इसके लिए उन्होंने एस.एम. आरिफ को अपना कोच चुना और उनसे लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था. अपनी मेहनत व लगन के दम पर 13 वर्ष की उम्र में ज्वाला ने मिनी नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप जीत ली और 2000 में केवल 17 साल की उम्र में जूनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतकर अपनी धमाकेदार पहचान बनानी शुरू कर दी. इसी साल ज्वाला ने श्रुति कुरियन के साथ डबल्स में जोड़ी बनाते हुए महिलाओं के डबल्स जूनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप और सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीत हासिल करने का कारनामा कर दिखाया.
इसके बाद साल 2002 से 2008 तक लगातार 7 बार ज्वाला गुट्टा ने महिलाओं की नेशनल युगल प्रतियोगिता में जीत हासिल करती रहीं. साथ ही साथ महिला डबल्स के साथ-साथ ज्वाला ने मिश्रित डबल्स में भी सफलता हासिल करते हुए भारत की डबल्स में सबसे बेहतरीन खिलाड़ी बनकर उभरीं. इतना ही नहीं साल 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स में भी ज्वाला गुट्टा ने अपनी डबल की पार्टनर अश्विनी पोनप्पा के साथ भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता. कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद ज्वाला ने फिर से ग्लास्गो में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में स्वर्ण पदक हासिल किया और फिर से अपने खेल का परचम लहराया.
क्रम | साल | प्रतियोगिता का नाम | पदक |
1 | 2011 | बी डब्ल्यू एफ विश्व महिला बैडमिंटन चैंपियनशिप (लंदन) महिला युगल | कांस्य |
2 | 2006 | राष्ट्रमंडल महिला बैडमिंटन खेल (मेलबर्न) मिश्रित टीम | कांस्य |
3 | 2010 | राष्ट्रमंडल महिला बैडमिंटन खेल (दिल्ली ) मिश्रित टीम | स्वर्ण |
4 | 2010 | राष्ट्रमंडल महिला बैडमिंटन खेल (दिल्ली ) मिश्रित टीम | रजत |
5 | 2014 | थॉमस एंड उबेर कप (नई दिल्ली) थॉमस एंड उबेर कप टीम | कांस्य |