दिल्ली

delhi

ETV Bharat / sports

भारतीय खिलाड़ियों के पास 2012 ओलंपिक से अधिक पदक जीतने की क्षमता : रिजिजू - किरण रिजीजू

रिजिजू ने कहा,'खेलों से आठ नौ महीने पहले यह कहना सही नहीं है कि हम कितने पदक जीतेंगे. मैं अभी केवल आकलन कर रहा हूं कि हमारे पास लंदन के रिकॉर्ड को तोड़ने की क्षमता है.'

kiren rijiju
kiren rijiju

By

Published : Dec 16, 2019, 11:02 PM IST

नई दिल्ली: खेल मंत्री किरण रिजिजू ने सोमवार को कहा कि भारत के पास अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक के दौरान 2012 लंदन ओलंपिक में जीते गए अब तक के सर्वाधिक पदकों का रिकॉर्ड तोड़ने की क्षमता है.

भारत ने लंदन 2012 में दो रजत और चार कांस्य पदक जीतकर अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था लेकिन रियो 2016 में खिलाड़ियों ने निराश किया और वे केवल दो पदक ही जीत पाए.

रिजिजू ने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कहा, "हम टॉप्स कार्यक्रम के तहत अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर रहे हैं. अभी हम आधा रास्ता तय कर चुके हैं. टोक्यो के लिए अभी तक 61 भारतीय खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया है. क्वालीफाईंग प्रक्रिया मई तक चलेगी."

उन्होंने कहा, "खेलों से आठ नौ महीने पहले यह कहना सही नहीं है कि हम कितने पदक जीतेंगे. मैं अभी केवल आकलन कर रहा हूं कि हमारे पास लंदन के रिकॉर्ड को तोड़ने की क्षमता है."

रिजिजू ने कहा कि देश में खेल क्षेत्र से जुड़े कई मसले हैं जिनका हल निकालने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, "कई मसले हैं. सुशासन सबसे बड़ा मसला है. कई बार अगर खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है तो महासंघ उस खिलाड़ी को आगे नहीं बढ़ाता, वह उसके बारे में मंत्रालय को नहीं बताता."

खेल मंत्री किरण रिजिजू

रिजिजू ने कहा, "खिलाड़ी, महासंघ और सरकार को मिलकर काम करना होगा. इससे पहले महासंघ और सरकार हमेशा आपस में लड़ते रहे लेकिन जब मैं मंत्री बना तो मैंने महासंघों को बुलाया और कहा कि मैं आपके ऊपर शासन करने के लिए नहीं आया हूं. मैं यहां आपकी और खिलाड़ियों की मदद करने के लिये आया हूं."

मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने भी उचित आधारभूत ढांचा और खिलाड़ियों की सहायता करने की जरूरत पर जोर दिया.

उन्होंने कहा, "कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत को सुधार करने की जरूरत है. चिकित्सा इनमें से एक है. मुक्केबाजी खेल में अगर हमारी आंख के करीब चोट लगती है और अगर सही उपचार नहीं हुआ तो आंख की रोशनी जाने का जोखिम बना रहता है."

विजेंदर ने कहा, "अब मैं पेशेवर मुक्केबाज हूं और मैं किसी की भी सेवाएं ले सकता हूं लेकिन राष्ट्रीय शिविरों में देखभाल अच्छी तरह से की जानी चाहिए तथा अधिकारियों को सिफारिशों नहीं बल्कि उनकी योग्यता के आधार पर रखा जाना चाहिए."

ABOUT THE AUTHOR

...view details