नई दिल्ली: हॉकी ने एक बार फिर देश को एक सूत्र में बांध दिया है. 2023 एफआईएच विश्व कप 13 जनवरी से ओडिशा में शुरू होने जा रहा है. इस खेल ने बीते सालों में देश में कुछ प्रभावशाली सुधार किए हैं. इंडिया हॉकी टीम के खिलाड़ी अपना खोया हुआ गौरव हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. ओडिशा में खेले जाने वाले विश्वकप में भारतीय टीम के पास दूसरी बार विश्वकप जीतने का मौका है. इसके लिए कोच और खिलाड़ी जोरशोर से लगे हैं.
आपको याद होगा कि भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक खेलों में 2021 में कांस्य पदक जीतकर 41 साल के सूखे को समाप्त करने में सफलता हासिल की. भारत की हॉकी टीम ने ओलंपिक 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 में कुल आठ स्वर्ण पदक जीते हैं.
मेंस हॉकी वर्ल्ड कप 2023 का इंतजार करीब 47 सालों से किया जा रहा है. यह टूर्नामेंट मेन इन ब्लू के सामने एक बड़ी चुनौती है. 1975 मेंस हॉकी वर्ल्ड में इंडिया ने अपना पहला स्वर्ण पदक तो जीत लिया, लेकिन सेमीफाइनल में पहुंचने में नाकाम रहा है. उसके बाद 1980 के खेलों में मास्को ओलंपिक में भारत ने अपना आखिरी गोल्ड मेडल जीता था.
हॉकी में इंडिया की परफॉर्मेंस
1970 से 80 के दशक में भारतीय हॉकी टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. हॉकी वर्ल्ड कप 1971 के इस खेल के आयोजन का पहला सीजन था, जिसे पाकिस्तान ने उनके द्वारा आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन पाकिस्तान में राजनीतिक संकट के चलते इसका आयोजन स्पेन के बार्सिलोना में ट्रांसफर कर दिया गया था. स्पेन में 15 से 24 अक्टूबर तक इस खेल का आयोजन किया गया था. पाकिस्तान ने इस हॉकी वर्ल्ड में मेजबान देश स्पेन को हराकर विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया है. इंडिया उस समय सेमीफाइन में पाकिस्तान से हार गया था, लेकिन केन्या पर जीत हासिल करके कांस्य पदक हासिल किया था.