पाया नूर-सुल्तान :अनुभवी पहलवान सुशील कुमार ने कहा है कि मैट पर पर्याप्त समय बिताए बगैर बड़े टूर्नामेंट में उतरना गलती थी और अपने करियर को दोबारा पटरी पर लाने के लिए वे अब अधिक नियमित रूप से प्रतिस्पर्धा पेश करेंगे.
लंदन ओलिंपिक 2012 और यहां 2019 विश्व चैंपियनशिप के बीच सात साल के समय के दौरान सुशील ने सिर्फ सात टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया. सुशील ने 2014 और 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीते लेकिन वे जकार्ता एशियाई खेलों में जूझते दिखे, जिससे सवाल उठने लगे कि वे 36 वर्ष की उम्र में प्रतिस्पर्धा पेश करने के लिए सक्षम हैं या नहीं.
विश्व चैंपियनशिप के जरिए तोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ करने की कवायद के तहत सुशील ने हाल में रूस के कोच कमाल मालिकोव के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग शुरू की.
सुशील ने जकार्ता खेलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन इसके बावजूद 74 किग्रा वर्ग के पहले दौर में हारकर बाहर हो गए. सुशील ने कहा, 'मैं हार गया लेकिन मैट पर मैं अच्छा महसूस कर रहा था.' जकार्ता की तुलना में मेरे खेल में तेजी थी. मैं इस चैंपियनशिप में दुनिया को सिर्फ ये बताने आया था कि मैं वापस आ रहा हूं. यहां तक कि यहां मौजूद विदेशी कोचों ने भी कहा, 'ऐसा लगता है कि तुम वापस आ रहे हो.'दो व्यक्तिगत ओलिंपिक पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय सुशील ने अजरबेजान के खादजीमुराद गाधिये के खिलाफ दो बार चार अंक के थ्रो से अतीत की अपनी झलक दिखाई.सुशील ने कहा, 'फिलहाल मेरे अंदर स्टैमिना की कमी है और डिफेंस कमजोर है. मेरे कोच मालिकोव ने कहा है कि मुझे तैयार करने के लिए वे 90 दिन का ट्रेनिंग समय चाहते हैं. अब तक लगभग 50 दिन हो गए हैं. मेरा वजन भी बढ़ गया था और मैं धीमा भी हो गया था.' उन्होंने कहा, 'लेकिन अब मैंने वजन घटा लिया है और तेज भी हो गया हूं. मेरा शरीर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है. मेरे कोच ने कहा है कि दो साल पहले की तुलना में मैं बेहतर हूं.' इस बीच वे कहां चले गए थे यह पूछने पर सुशील ने कहा, 'मैंने सोचा कि मुझे सिर्फ बड़े टूर्नमेंटों में खेलना चाहिए लेकिन कोच ने कहा कि नहीं, मुझे प्रत्येक महीने या 45 दिन में प्रतियोगिता में हिस्सा लेना होगा जिससे कि मैट पर पर्याप्त समय बिता सकूं.'
ये पूछने पर कि इतने वर्षों में उन्होंने नियमित तौर पर टूर्नमेंटों में हिस्सा क्यों नहीं लिया, सुशील ने कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो मुझे प्रतिस्पर्धा पेश करने का अहसास नहीं आ रहा था लेकिन मेरे करीबी लोगों ने कहा कि अगर मेरे अंदर 10-20 प्रतिशत कुश्ती भी बची है तो मुझे खेल नहीं छोड़ना चाहिए.
इसलिए मैंने ट्रेनिंग करने और ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ करने के बारे में सोचा. मैं अगले साल एशियाई प्रतियोगिता से क्वॉलिफाइ करने की कोशिश करूंगा.'
सुशील ने कहा कि मालिकोव उनसे कम उम्र के हैं और इसलिए उनके ट्रेनिंग साझेदार की भूमिका भी निभा रहे है. उन्होंने कहा, 'वे तकनीकी रूप से काफी सक्षम कोच है. उसके साथ अनुबंध को अंतिम रूप देने से पहले प्रत्येक पहलू पर गौर किया गया। रूस में वह काफी सम्मानित है.'