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उम्मीद है जेएलएन के नवीनीकरण का हाल, ध्यानचंद स्टेडियम जैसा नहीं होगा : बत्रा

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने इस परियोजना को लेकर कहा है कि स्टेडियम के नवीनीकरण का विचार अच्छा है और उन्हें उम्मीद है कि इसका क्रियान्वयन होगा.

Indian Olympic Association President Narinder Batra
Indian Olympic Association President Narinder Batra

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Published : Jun 12, 2020, 1:38 PM IST

नई दिल्ली : खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी स्थित प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पुनर्विकास के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं. सरकार ने कहा है कि इस परियोजना को निजी क्षेत्र के साथ मिलकर पूरा किया जाएगा और इसमें करीब 7,853 करोड़ रुपये की लागत आएगी.

हम वहां मैच आयोजित नहीं कर पाएंगे

जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम

बत्रा ने गुरुवार को एक समाचार एजेंसी से कहा, " मुझे पता है कि चीजें दुनिया को कैसे संचालित करती हैं. हमारे स्टेडियम विघटित हो जाएंगे, इसलिए विचार अच्छा है लेकिन अब इसे लागू करने की जरूरत है. अब हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि निजी संस्थाओं से किस तरह के प्रस्ताव आते हैं."

बत्राा ने कहा, " क्या मैं इसके समर्थन में हूं, हां. इस तरह से चीजें होनी चाहिए और न केवल केंद्र सरकार बल्कि राज्य सरकारों को भी इस प्रक्रिया का पालन करना चाहिए. अन्यथा हम शॉपिंग कॉम्प्लेक्स या कुछ और खेल परिसरों के साथ समाप्त हो जाएंगे और हम वहां मैच आयोजित नहीं कर पाएंगे."

बत्रा ने नई दिल्ली के दूसरे स्टेडियम, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम के बारे में भी बात की, जिसने भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम की तुलना में भारत के प्रमुख हॉकी स्टेडियम के रूप में अपनी पहचान खो दी है.

उम्मीद है कि जेएलएन स्टेडियम परियोजना को अगले कुछ वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा

उन्होंने कहा, " अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित कराने के लिए एक अच्छे साफ स्टेडियम की आवश्यकता होती है और ये अब वहां संभव भी नहीं लगता है. इसलिए ध्यानचंद स्टेडियम हॉकी के लिए एक प्रतिष्ठित स्टेडियम है, लेकिन अब वहां कोई हॉकी नहीं है. उसका व्यावसायीकरण भी किया गया था ताकि लागत आती रहे। ध्यान रखा जाना चाहिए कि विचार अच्छा था, लेकिन उसका कार्यान्वयन गलत हो गया."

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा

बत्रा ने ये भी कहा कि अगर इसे अच्छी तरह से लागू किया जाता है, तो ऐसी परियोजनाओं से गैर-क्रिकेट खेलों की ओर अधिक निजी पैसा मिल सकता है. उन्होंने कहा, " अगर आप प्रायोजन राजस्व को देखते हैं, तो 93 फीसदी क्रिकेट में जाता है और बाकी का एक बड़ा हिस्सा फुटबॉल या टेनिस तथा बैडमिंटन जैसे खेलों में जाता है. हम उसके बाद जो कुछ भी करते हैं, उसके साथ करते हैं, लेकिन अगर अधिक पैसा आता है तो यह अच्छा होगा."

बत्रा को उम्मीद है कि जेएलएन स्टेडियम परियोजना को अगले कुछ वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा, " यह सिर्फ एक आरएफपी है. हर कोई जानता है कि यह एक साल की परियोजना नहीं है, इसलिए अब निजी संस्थाएं अपने प्रस्तावों को इस आधार पर देंगी कि वे खुद इस परियोजना से क्या चाहते हैं. ऐसा नहीं है कि सभी निजी संस्थाएं वित्तीय परेशानियों का सामना कर रही हैं बल्कि फर्मा उद्योग जैसी कुछ संस्थाएं बड़ा मुनाफा कमा रही है लेकिन हां, कारोबार को सामान्य होने में कम से कम एक साल लगेगा, इसलिए निश्चित रूप से इसमें कुछ समय लगेगा."

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