नई दिल्ली:किशोरावस्था में शरीर के निचले हिस्से में लकवे के डर से राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की नुमाइंदगी तक, भारत के युगल बैडमिंटन खिलाड़ी बी सुमीत रेड्डी का सफर जुझारूपन और जिजीविषा की बानगी पेश करता है. अपने कैरियर के शुरूआती दौर में सुमीत रीढ की हड्डी में किसी बीमारी की वजह से तीन सप्ताह बिस्तर पर थे. डॉक्टरों ने उन्हें बैडमिंटन छोड़ने के लिए कहा था, लेकिन उनका पूरा ध्यान कोर्ट पर वापसी पर लगा था.
अब साल 2022 में सुमीत ने राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय टीम में जगह बनाई है. वह मिश्रित युगल चयन ट्रायल में अश्विनी पोनप्पा के साथ उतरे और शीर्ष पर रहे. उन्होंने रहैबिलिटेशन के लिए फिजियोथेरेपी की और अपने दम पर वापसी की.
यह भी पढ़ें:ISSF World Cup: मैराज खान ने रचा इतिहास, पुरुषों के स्कीट में देश के लिए जीता पहला गोल्ड
सुमीत ने पीटीआई से बातचीत में कहा, यह साल 2010-2011 की बात है. मैं एकल वर्ग में भारत के शीर्ष पांच खिलाड़ियों में था. एक दिन मेरी कमर में तकलीफ हुई और पता चला की मेरूदंड की हड्डियों में एयर बबल गैप आ गए हैं. मुझे खेल छोड़ने के लिए कहा गया था. उन्होंने कहा, मैंने दस डॉक्टरों से राय ली. लेकिन कोई मुझे हल नहीं दे सका. मैं 20 दिन तक बिस्तर पर था. बाथरूम जाने के लिए भी मदद लेनी पड़ती थी. शरीर के निचले हिस्से में लकवा मारने का डर था, लेकिन मैं हार नहीं मानने वाला था.