दिल्ली

delhi

ETV Bharat / sports

FIDE Chess World Cup Final: टीवी पर कार्टून देखने की आदत छूटी तो ग्रैंडमास्टर बन गए प्रगनानंद, शतरंज विश्व कप के फाइनल में कार्लसन से को देंगे टक्कर

FIDE Chess World Cup Final Rameshbabu Praggnanandha vs Magnus Carlsen of Norway : पूर्व विश्व चैंपियन नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन को भारत के 18 वर्षीय ग्रैंडमास्टर आर. प्रगनानंद टक्कर देंगे.

Rameshbabu Praggnanandha with Family Members
भारतीय ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगनानंद

By

Published : Aug 22, 2023, 11:03 AM IST

चेन्नई :भारत के 18 वर्षीय ग्रैंडमास्टर आर. प्रगनानंद ने सोमवार को दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी अमेरिकी ग्रैंड मास्‍टर फैबियानो कारूआना को अजरबैजान के बाकू में खेले गये सेमीफाइनल में टाई-ब्रेक में हराकर फिडे विश्व कप के फाइनल में प्रवेश कर लेने के बाद देश के शतरंज प्रेमी झूम उठे. भारतीय खिलाड़ी के शानदार प्रदर्शन से पूरा देश गौरवान्वित है. वह ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले दूसरे खिलाड़ी बने हैं. अब फाइनल में प्रगनानंद का मुकाबला दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी और पूर्व विश्व चैंपियन नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन से होगा.

इस मैच में अंतिम स्कोर चेन्नई के युवा खिलाड़ी के पक्ष में 3.5-2.5 रहा. पहले दो टाई-ब्रेक गेम ड्रा रहने के बाद, भारतीय ने तीसरे गेम में कारूआना को हराया और अगला गेम ड्रा कराया. खिलाड़ियों द्वारा पहले अपने दो क्लासिक गेम ड्रा कराने के बाद मैच टाई-ब्रेकर में चला गया. टाईब्रेकर में पहली दो बाजियां बराबरी पर छूटीं. इसके बाद युवा भारतीय ने तीसरा गेम जीत लिया.

बड़ी बहन से मिली प्रेरणा
भारतीय ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगनानंद के बारे में कहा जाता है कि प्रज्ञानानंद ने अपनी बड़ी बहन से प्रभावित होकर शतरंज खेलना शुरू किया. महज तीन साल की उम्र में उन्होंने शतरंज को अपने जीवन का हिस्सा बनाना शुरू कर दिया था. इसके लिए वह सारा श्रेय अपनी बड़ी बहन वैशाली को देते हैं, जिन्होंने रमेशबाबू प्रगनानंद को न सिर्फ यह खेल सिखाया बल्कि टीवी पर कार्टून देखने से वाले समय को भी इस खेल में बिताने के लिए प्रेरित किया.

भारतीय ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगनानंद

टीवी पर कार्टून देखने का शौक बदला
इस बारे में जानकारी देते हुए प्रज्ञानानंद के पिता रमेशबाबू ने एकबार कहा था कि अपने परिवार में हम लोगों ने वैशाली को शतरंज से जोड़ा था, जिससे कि उसकी टीवी देखने की आदत को छुड़ाया जा सके. उसने यह काम रमेशबाबू प्रगनानंद को सिखाया. मेरे दोनों बच्चों को यह खेल पसंद आ गया और दोनों ने इसे करियर के रूप में जारी रखने का फैसला किया. हमें खुशी है कि दोनों खेल में सफल होते जा रहे हैं. इससे भी अहम बात यह है कि वे दोनों खेल में लुत्फ उठाते हुए आगे बढ़ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें..

For All Latest Updates

ABOUT THE AUTHOR

...view details