हैदराबाद:भारतीय कुश्ती स्टार रितु फोगाट अब एमएमए में अपना जौहर दिखाते हुए 4-0 से अपराजित हैं इसी के साथ वो विश्व पटल पर देश का नाम रोशन करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. उन्होंने ईटावी भारत से खास बातचीत में कहा कि देश के लिए ट्रॉफी जीतना उनके लिए आज भी दिल के सबसे करीब है और वो एमएमए में भारत के लिए जगह बनाना चाहती हैं जिससे इस स्पोर्ट में देश से और खिलाड़ी आ सके.
इंडियन टाइग्रेस (जैसा कि अब उन्हें इस नाम से पुकारा जाता है) ने बताया कि उन्होंने कुश्ती में एक शानदार करियर क्यों छोड़ा और एमएमए फाइटर बनने के लिए क्या करना पड़ता है.
रितु फोगाट से बातचीत के कुछ अंश
Q. अपनी कुश्ती की पृष्ठभूमि से आपको कितनी मदद मिली और कुश्ती से एमएमए में स्विच करने में आपको कितनी मुश्किल हुई?
A. कुश्ती में मेरी पृष्ठभूमि के कारण MMA में मुझे बहुत लाभ हुआ. यदि हम एमएमए में शीर्ष छह या सात फाइटर के बैकग्राउंड को देखे तो उनमें से ज्यादातर कुश्ती से आए हैं. एक पहलवान मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में आसानी से लाभ उठा सकता है.
चैंपियनशिप जीतने के बाद विजेता घोषित होतीं रितु फोगाट Q. आपके पिता (महावीर सिंह फोगाट) की प्रतिक्रिया क्या थी जब आपने उनसे कहा था कि आपने एमएमए जाने का फैसला किया है?
A. मैं मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स को यूट्यूब पर बहुत देखती थी और मैंने इसे बहुत अलग पाया, जिसने मुझे खेल के प्रति आकर्षित किया. मुझे भारत में प्रशिक्षण केंद्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. मुझे फाइट देखना अच्छा लगता था. मैंने खबीब (MMA खिलाड़ी) को उनके विरोधियों के खिलाफ बहुत संघर्ष करते देखा और हमेशा सोचती रही कि भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई क्यों नहीं है. हमारे देश से कोई चैंपियन या फाइटर क्यों नहीं है. लेकिन फिर एशिया के सबसे बड़े जिम से एक अवसर आया. उन्होंने मुझे अपने साथ शामिल होने के लिए कहा क्योंकि मैं इस गेम में इंटरस्टेड थी.
उस दौरान, मैं कुश्ती में बहुत अच्छा कर रही थी और 2020 में टोक्यो ओलंपिक भी था. मैंने पहली बार अपनी बहनों से बातचीत की और उन्होंने इस बारे में मेरे पिता से बात की. मेरी बहनें भी ओलंपिक को लेकर चिंतित थीं लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं इस मौके को नहीं छोड़ना चाहती. उन्होंने एमएमए में मेरी दिलचस्पी देखकर मेरे इस फैसले का समर्थन किया. उन्होंने मेरे पिता के साथ इस पर चर्चा की और उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया. मेरे पिता ने कहा ... ये कुश्ती हो या एमएमए, फोकस देश के लिए अच्छा करना ही होना चाहिए. मैं देश भर के लिए अच्छा कर रही हूं क्योंकि मुझे पूरा समर्थन मिल रहा है.
Q. महिलाओं के एटम डिविजन में, क्या कोई विशेष फाइटर है जिससे आप भविष्य में लड़ना चाहती हैं?
A. 52-किलोग्राम भार वर्ग मेरे लिए हमेशा कठिन रहा है क्योंकि जिन फाइटरों का मैंने सामना किया है वो हमेशा एक नई चुनौती लेकर आई हैं. वो हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है और मैं किसी को भी हल्के में नहीं ले सकती. वो भी पूरी तैयारी के साथ आती हैं. यदि आप मुझसे पूछें कि मैं भविष्य में किसका सामना करना चाहूंगा, तो मैं कहूंगी कि मैं मेहनत कर रही हूं और एक एथलीट के रूप में मैं हमेशा इस बात की परवाह किए बिना तैयार रहती हूं कि विरोधी कौन है.
Q. आपने अब तक वन चैम्पियनशिप में चार फाइट जीती हैं. ये एक बड़ी उपलब्धि है फिर भी हमें बताएं, आप भविष्य में एमएमए विश्व चैम्पियनशिप जीतने के अपने सपने के लिए क्या तैयारी कर रही है?
A. सबसे पहले, धन्यवाद. मैंने अपने सभी चार मैचों से बहुत कुछ सीखा है. आप हर मैच में मेरा सुधार देख सकते हैं. हालिया चौथी जीत के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है. मैं अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा रहा हूं. मेरे कोच मेरे प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं और दैनिक आधार पर मेरे कौशल में सुधार कर रहे हैं. मेरा सपना देश के लिए चैंपियनशिप बेल्ट लाना है. मैं ये हमारे देश के लोगों के लिए करना चाहती हूं जो इस का सपना देख रहे हैं. मैं इसके लिए हर वो मेहनत कर रही हूं जिनकी मुझे आवश्यकता है और उन क्षेत्रों पर काम कर रही हूं जहां मुझमे कमी है और खुद को और ज्यादा पुश रही हूं.
साभार- आयुष्मान पांडे