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Exclusive : 'मैं बिना जूतों के अपने गांव में दौड़ने के लिए जाती थी' - दुती चंद के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

दुती चंद ने खुलासा किया है कि उनके गांव के लोग एथलीट बनने के उनके सपने को लेकर आलोचना करते थे.

Ace Indian sprinter Dutee Chand
Ace Indian sprinter Dutee Chand

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Published : May 31, 2020, 4:42 PM IST

Updated : May 31, 2020, 5:05 PM IST

हैदराबाद: भारतीय स्टार धावक दुती चंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया है कि कोरोना वायरस की वजह से उन्हें ओलंपिक के लिए नए सिरे से तैयारी करनी पड़ेगी. हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि वो परिवार के साथ समय बिताकर खुश हैं.

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आपके लॉकडाउन के दिन कैसे रहे?

ये अच्छा रहा. COVID-19 महामारी से पहले, मैं हमेशा अलग-अलग कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा कर रहा थी. जिसके कारण मेरे पास परिवार के साथ समय बिताने का समय नहीं था लेकिन लॉकडाउन, जिसके कारण दुनिया भर में सभी खेल से जुड़ी गतिविधियों को या तो निलंबित कर दिया गया है या स्थगित कर दिया गया है ये मेरे लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि मैं अब उनके साथ समय बिताने में सक्षम हूं.

कोरोनावायरस के कारण मिले ब्रेक पर आपकी क्या राय है?

वास्तव में, ये मेरे लिए सही भी रहा है और बहुत नुकसान भी हुआ है. एक तरफ मैं परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने के कारण खुश हूं लेकिन ये भी दुख है कि अब टोक्यो खेलों के लिए मेरी सारी तैयारी बर्बाद हो गई हैं. मैंने मार्की इवेंट की तैयारी के लिए जो निवेश किया था. मुझे वो पैसा भी वापस नहीं मिलेगा.

भारतीय स्टार धावक दुती चंद

आपको क्या लगता है कि टोक्यो खेलों के स्थगन से आपको तैयारी करने के लिए अधिक समय मिलेगा?

मेरा प्रशिक्षण आगामी कार्यक्रम पर निर्भर करता है और मैंने अक्टूबर 2019 में टोक्यो खेलों के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी थी. मुझे अप्रैल या मई 2020 तक ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए क्वालीफाई कर लेना चाहिए था लेकिन अब जबकि टोक्यो ओलंपिक को एक साल के लिए टाल दिया गया है, मुझे फिर से शुरुआत करनी होगी.

करियर की शुरुआत करते समय आपको किन बाधाओं का सामना करना पड़ा था. उसके बारे में बताएं?

शुरुआत में ही मुझे काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. देश में बहुत सारे परिवार हैं जो लड़कियों को अपने सपनों को पूरा करने की अनुमति नहीं देते हैं लेकिन मैं मुझे ये मौका देने के लिए अपने परिवार को धन्यवाद देना चाहूंगा. इसके अलावा, जब मैंने दौड़ना शुरू किया, तो मैं बिना जूतों के अपने गांव में दौड़ने के लिए जाती थी, वहां कोई मैदान नहीं था और मेरे पास कोई कोच नहीं था. मेरे गांव के लोग भी एथलीट बनने के उद्देश्य से मेरी आलोचना करते थे, लेकिन मैंने अपना अभ्यास जारी रखा.

आपने सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए रनिंग करना शुरु की लेकिन, आपको कब एहसास हुआ कि आप एक पेशेवर एथलीट बनना चाहती हैं?

दुती चंद

मेरी बहन को स्पोर्ट्स कोटा के कारण सरकारी नौकरी मिली, इसलिए जब मैं छोटी थी तो उन्होंने एक स्प्रिंटर बनने के लिए मुझे प्रेरित किया, ताकि मैं भी उनकी तरह सरकारी नौकरी पा सकूं. लगभग तीन-चार वर्षों तक मैंने राष्ट्रीय स्तर पर खेला और 18 वर्ष की आयु में सरकारी नौकरी भी प्राप्त की लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई, लोगों ने मेरे प्रयासों को पहचानना शुरू किया और इसकी सराहना भी की, इसलिए मैंने कड़ी मेहनत जारी रखने का फैसला किया. जिसने मुझे एक अंतरराष्ट्रीय एथलीट बनने में मदद की.

मैंने 2013 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता और तब से मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मैंने एशियाई खेलों में दो पदक हासिल किए. मैं यूनिवर्सिटी गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट हूं.

Last Updated : May 31, 2020, 5:05 PM IST

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