रांची: स्पेन में आयोजित विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप के रिकर्व कैडेट बालिका वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर झारखंड की बिटिया कोमोलिका बारी स्वदेश लौट आई है. इस दौरान रांची में आयोजित फिट इंडिया कार्यक्रम के दौरान पहुंची कोमोलिका ने ईटीवी भारत की टीम के साथ खास बातचीत कर अपने अनुभव साझा किए.
कोमोलिका ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि कम्पटीशन काफी टफ था कॉम्पिटिटर भी काफी मजबूत थी लेकिन तमाम परिस्थिति भारत के पक्ष में ही थी. इसीलिए जापान की सोनोदा वाका को 7-3 से हराया जा सका.
तैयारी थी मजबूत
गोल्ड जीतने वाली कोमोलिका का कहना है कि इस विश्व चैंपियनशीप के लिए उन्होंने काफी मेहनत कर रखी थी. उनका लक्ष्य था कि इस खेल में वे अपना बेहतर प्रदर्शन करेंगी. मात्र17 साल की उम्र में कोमालिका ने यह कारनामा कर दिखाया है, जिसे लेकर वह बहुत ही खुश हैं. लेकिन उत्साहित नहीं. उनका कहना है कि इस जीत के साथ उनकी जिम्मेवारियां बढ़ गई है, उन्हें यहां पर रुकना नहीं है बल्कि लोग उनपर ऐसे ही अपना विश्वास बनाए रखें इसे लेकर और मेहनत करनी है.
पिता ने हमेशा दिया साथ
यह पूछने कर कि क्या कभी आर्थिक परेशानियों ने उनका रास्ता नहीं रोका तो कोमोलिका पूरे गर्व के साथ इसके लिए अपने पिता का धन्यवाद देती हैं. वे बताती हैं कि कई बार आर्थिक परेशानियां सामने आईं लेकिन पिता ने कभी पैसे को सफलता के राह का रोड़ा नहीं बनने दिया. वे हमेशा ढाल की तरह ऐसी परेशानियों से अकेले लड़ते रहे. उनके इस जज्बे का ही असर है कि मैं अपनी तैयारियों पर ध्यान दे पाई जिससे मैंने अपना बेहतर प्रदर्शन दिया. बता दें कि कोमोलिका के पिता एलआईसी एजेंट हैं.
कोच की सुनें
आने वाले खिलाड़यों को संदेश देने के नाम पर कोमोलिका कहती हैं कि जो भी खेल में कुछ बेहतर करना चाहते हैं, उनके लिए सबसे जरूरी है कि वे फिट रहे. वे फिट रहेंगे तभी हिट करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने प्रैक्टिस के दौरान कोच की बातों को मानने की सलाह भी दी.
इससे पहले दीपिका ने जीता था खिताब
बता दें कि अंडर-तीरंदाजी के अंडर18 वर्ग में विश्व चैंपियन बनने वाली कोमोलिका भारत की दूसरी तीरंदाज बनी है. उनसे पहले दीपिका कुमारी को 2009 में यह खिताब मिला था.