नई दिल्ली:विश्व रैंकिंग कोटा के जरिए टोक्यो ओलंपिक में जगह बनाने वाली फर्राटा धाविका दुती चंद का लक्ष्य 11.10 सेकेंड की टाइमिंग निकालना है, जो उनके अनुसार सेमीफाइनल तक पहुंचने के लिए जरूरी होगा.
ओडिशा की इस एथलीट ने हैदराबाद से भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा, मैंने एशियाई स्तर पर पदक जीता है. लेकिन ओलंपिक में दुनिया भर के शीर्ष खिलाड़ी आते हैं.
अमेरिका या जर्मनी के धावकों का टाइमिंग तो 10 सेकेंड के आसपास तक चला जाता है. मैंने 11.10 का लक्ष्य रखा है, जिससे सेमीफाइनल तक आ सकती हूं.
सीधे क्वालीफाई करने में नाकाम रहने के बाद दुती ने विश्व रैंकिंग कोटा के जरिए टोक्यो का टिकट कटाया. एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता दुती राष्ट्रीय अंतर राज्य सीनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहीं थीं, जो उनकी ओलंपिक से पहले आखिरी रेस थी.
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इससे पहले उन्होंने इंडियन ग्रां प्री 4 में महिलाओं की 100 मीटर दौड़ में 11.17 सेकेंड का समय निकालकर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था. वह ओलंपिक के लिए सीधे क्वालीफाई करने से 0.02 सेकेंड से चूक गई थी. सौ मीटर चार्ट में 44वीं और 200 मीटर में 51वीं रैंकिंग होने से उन्होंने क्वालीफाई कर लिया.
उन्होंने कहा, रियो ओलंपिक 2016 तक क्वालीफायर के जरिए ही ओलंपिक खेल सकते थे. लेकिन इससे कई बार सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी खेलों में भाग लेने से मामूली अंतर से चूक जाते थे. इसीलिए आईओसी ने इस बार रैंकिंग व्यवस्था भी रखी है, ताकि ऐसे खिलाड़ी चूक न जाएं.
दुती ने कहा, ओलंपिक के लिए सौ मीटर में क्वालीफिकेशन मार्क 11.15 सेकेंड था और कोरोना महामारी के कारण मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं वहां तक पहुंच सकूंगी.
कोरोना के कारण कई स्पधार्य रद्द हो गईं और अभ्यास कार्यक्रम भी अस्त-व्यस्त हो गया था. मैं अभ्यास के लिए कजाखस्तान और किर्गीस्तान भी नहीं जा सकी. मैंने हालांकि आखिर तक संघर्ष किया, लेकिन मामूली अंतर से चूक गई.
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भुवनेश्वर, पटियाला और हैदराबाद में अभ्यास करने वाली दुती को रैंकिंग के जरिए अपना दूसरा ओलंपिक खेलने का यकीन था और उन्होंने तैयारियों में कोताही नहीं बरती.
उन्होंने कहा, मुझे पूरा यकीन था कि रैंकिंग के जरिए मैं ओलंपिक खेलूंगी. लेकिन सिर्फ खेलना मेरा लक्ष्य नहीं है. मैंने अभ्यास में पूरा फोकस अपने प्रदर्शन पर रखा और कड़ी मेहनत की है. मैंने कभी यह सोचा ही नहीं कि मैं टोक्यो नहीं जा रही हूं.
उन्होंने आगे कहा, मेरा फोकस 100 मीटर पर ही है. सौ और दो सौ दोनों पर फोकस करने से टाइमिंग पर असर पड़ेगा. दोनों वर्गों में अभ्यास समान रहता है, लेकिन मेरा फोकस सौ मीटर होगा.
पदक की उम्मीदों में गिनी जा रही दुती अपेक्षाओं के दबाव से वाकिफ हैं, लेकिन उसे अपने खेल पर हावी नहीं होने देती. इसके साथ ही निजी जिदंगी की परेशानियों को भी वह ट्रैक पर लेकर नहीं आतीं.
उन्होंने कहा, अपेक्षाओं का दबाव पहले रहता था, अब इतना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं कि दबाव नहीं लगता. लगातार चार साल से पदक जीत रही हूं और इसी से लोगों की उम्मीदें बंधी है. खेल में प्रदर्शन बोलता है और अच्छा नहीं खेलने पर तो लोग विराट कोहली को भी नहीं छोड़ते.
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अपने समलैंगिक रिश्ते के कारण अक्सर आलोचना झेलने वाली दुती ने कहा, निजी जिंदगी की परेशानियों का असर मैं खेल पर नहीं पड़ने देती. ट्रैक पर दिमाग सिर्फ खेल पर रहता है. दूसरे क्या कहते हैं, उससे फर्क नहीं पड़ता. लेकिन जब अपने रिश्तेदार या दोस्त बोलते हैं तो दुख होता है. हालांकि, खेल में सब भूल जाती हूं.
ओडिशा सरकार ने इस साल देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेलरत्न के लिए उनका नाम भेजा है. इस बारे में उन्होंने कहा, मुझे खेलरत्न तो पहले ही मिल जाना चाहिए था. दो बार एशियाई खेलों में, चार बार एशियाई चैम्पियनशिप में पदक जीता. यूनिवर्सिटी खेलों में स्वर्ण और एशियाई जूनियर चैम्पियनशिप में दो बार स्वर्ण जीता. लेकिन मैं शुक्रगुजार हूं ओडिशा सरकार की, जिसने अर्जुन पुरस्कार के बाद खेलरत्न के लिए भी मेरा नाम भेजा.