बर्मिंघम: युवा भारतीय भारोत्तोलक अचिंता शेउली ने पुरुषों के 73 किग्रा वर्ग में पहली बार स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद उन्होंने अपने पिता और भाई के योगदान को याद किया, जिन्होंने उनके सपने को पूरा करने के लिए कई बलिदान दिए. शेउली ने रविवार रात को कुल 313 किग्रा भार उठाकर, राष्ट्रमंडल खेलों के रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतने से पहले मलेशिया के एरी हिदायत मुहम्मद से कड़ी टक्कर का सामना किया.
शेउली ने सोमवार को पदक जीतने के बाद कहा, मैं बहुत खुश हूं. यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी बात है और मैंने परिणाम प्राप्त करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की थी. मैं सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं. मुझे हमेशा अपने पिता और भाई के योगदान की याद आती है, क्योंकि उनके कारण ही मैं देश के सबसे प्रतिभाशाली युवा भारोत्तोलकों में से एक के रूप में उभरा हूं. उन्होंने कहा, साल 2013 में, मैं राष्ट्रीय शिविर में शामिल हुआ. मैं इसका बहुत आनंद लेता था. उसी साल जब मेरे पिता की मृत्यु हो गई, तो मेरे पास कोई समर्थन नहीं था. मेरे भाई ने मेरी वजह से खेल छोड़ दिया ताकि मैं समृद्ध हो सकूं. वह मुझे समझा दिया कि गेम्स 'से भी करियर बन सकता है. कोचों ने मेरा बहुत समर्थन किया. धीरे-धीरे मैंने सुधार किया, और मेरी श्रेणियां बदलती रहीं.
शेउली का कहना है कि अतीत की कठिनाइयां उन्हें अच्छा करने के लिए प्रेरित करती हैं. शेउली ने कहा, अब मेरे साथ जो भी बुरा होगा, मुझे नहीं लगता कि यह उतना मुश्किल होगा. क्योंकि जब मेरे पिता का निधन हुआ, तो एकदम से परेशान हो गया था. फिर मैंने काम किया, कड़ी मेहनत की.