दिल्ली

delhi

ETV Bharat / sports

CWG 2022 मुक्केबाजी : निकहत, नीतू और हुसामुद्दीन के पदक पक्के, लवलीना क्वार्टर फाइनल से बाहर - हुसामुद्दीन मोहम्मद

भारत की बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन 66 से 70 किलोग्राम भारवर्ग (लाइट मिडल वेट) के क्वार्टर फाइनल में हारकर राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर हो गई हैं. उन्हें वेल्स की रोजी एकल्स ने 3-2 से हरा दिया.

Commonwealth Games 2022  CWG 2022  CWG 2022 Boxing  nikhat zareen  Neetu in Commonwealth Games 2022  Husamuddin in Commonwealth Games 2022  राष्ट्रमंडल खेल2022  निकहत जरीन  नीतू गंघास  हुसामुद्दीन मोहम्मद  लवलीना बोरगोहेन
Commonwealth Games 2022

By

Published : Aug 4, 2022, 9:21 AM IST

बर्मिंघम: विश्व चैम्पियन निकहत जरीन, नीतू गंघास और हुसामुद्दीन मोहम्मद 2022 राष्ट्रमंडल खेलों की मुक्केबाजी स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंच गए. वहीं, ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन क्वार्टर फाइनल में उलटफेर का शिकार हो गई.

निकहत ने महिलाओं के 50 किलो वर्ग में वेल्स की हेलन जोंस को अंकों के आधार पर 5.0 से हराया. तीनों दौर में निकहत का पलड़ा भारी रहा और उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी को आक्रामक होने का कोई मौका ही नहीं दिया. दो बार की युवा स्वर्ण पदक विजेता नीतू (21 साल) को 48 किलो क्वार्टरफाइनल के तीसरे और अंतिम राउंड में उत्तरी आयरलैंड की प्रतिंद्वद्वी निकोल क्लाइड के स्वेच्छा से रिटायर होने (एबीडी) के बाद विजेता घोषित किया गया. जिससे देश का बर्मिंघम में पहला मुक्केबाजी पदक सुनिश्चित हुआ.

यह भी पढ़ें:CWG 2022: तेजस्विन शंकर ने पुरुषों की ऊंची कूद में ब्रांज पदक जीता

फिर निजामाबाद के 28 साल के हुसामुद्दीन पुरूषों के 57 किलोवर्ग में नामीबिया के ट्रायागेन मार्निंग नदेवेलो पर 4-1 से जीत दर्ज कर अंतिम चार में पहुंच गये जिससे दूसरा पदक पक्का हुआ. पिछले चरण के कांस्य पदक विजेता हुसामुद्दीन को हालांकि अपने मुकाबले के विभाजित फैसले में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. महिलाओं के 70 किलोवर्ग में पहले दो दौर में मामूली अंतर से आगे लवलीना वेल्स की रोसी एसेल्स से विभाजित फैसले में 2.3 से हार गई.

इससे पहले भिवानी के धनाना जिले की नीतू ने क्लाइड पर पहले दो राउंड में दबदबा बनाया जिसके बाद मुकाबला रोक दिया और नतीजा भारतीय मुक्केबाज के पक्ष में रहा. राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण कर रही नीतू महान मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम के वजन वर्ग में खेल रही हैं. मैरीकॉम चयन ट्रायल्स के दौरान चोटिल हो गई थीं. भारतीय दल ने बर्मिंघम आने से पहले आयरलैंड में ट्रेनिंग ली थी और इससे नीतू को क्लाइड के खिलाफ मुकाबले में मदद मिली.

क्वार्टरफाइनल में मिली जीत के बाद आत्मविश्वास से भरी नीतू ने कहा, यह प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज के खिलाफ मेरा पहला मुकाबला था लेकिन हमने आयरलैंड में एक साथ ट्रेनिंग की थी. मुझे पता था कि क्या उम्मीद की जाए. यह तो अभी शुरूआत है, मुझे लंबा रास्ता तय करना है. उन्होंने कहा, मैं अपने कोचों की सलाह सुनकर उसे रिंग में इस्तेमाल करने की कोशिश करती हूं. स्ट्रैंड्जा मेमोरियल की स्वर्ण पदक विजेता नीतू अन्य मुक्केबाजों के वीडियो देखना पसंद नहीं करती और उनका कोई आदर्श भी नहीं है.

यह भी पढ़ें:CWG 2022: जूडो खिलाड़ी तूलिका मान ने जीता सिल्वर मेडल

उन्होंने 2012 में मुक्केबाजी शुरू की थी लेकिन 2019 में लगी कंधे की चोट से उन्हें लंबे समय तक खेल से बाहर होना पड़ा था. नीतू जिस जगह से आयी हैं, वहां लड़कियों को खेलों में आने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता. लेकिन उनके पिता ने पास की अकादमी में उनका नाम लिखवा दिया. इस मुक्केबाज के सपने को साकार करने के लिए उनके पिता को चंडीगढ़ में अपनी नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया. वह वित्तीय रूप से मजबूत भविष्य के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक की उम्मीद लगाए हैं.

उन्होंने कहा, हम संयुक्त परिवार में रहते हैं. मेरे पिता हर वक्त मेरे साथ रहते हैं इसलिए वो काम नहीं कर सकते. उनके बड़े भाई सारा खर्चा उठाते हैं क्योंकि हम संयुक्त परिवार में रहते हैं. उम्मीद है कि इस पदक से काफी अंतर आयेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details