नई दिल्ली :फुटबॉल दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय खेलों में से एक है और फीफा विश्वकप इसका सबसे बड़ा आयोजन है. इसकी मेजबानी से देश को कई फायदे होते हैं. इसीलिए फुटबॉल खेलने वाले देश इसके आयोजन के लिए लालायित रहते हैं. फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी कई मायनों में महत्वपूर्ण कही जाती है. इस तरह के विशाल खेल आयोजन के जरिए संबंधित देश को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर अपनी खास पहचान बनाने का मौका मिलता है. साथ ही साथ वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने में मदद मिलती है. साथ ही फीफा वर्ल्ड कप देखने के लिए दुनियाभर के लोगों के आने जाने से टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलता है. इससे आयोजक देशों का विदेश मुद्रा भंडार भी बढ़ता है. साथ ही राजनैतिक और आर्थिक स्तर पर कई फायदे मिलते हैं.
फीफा के पूर्व कार्यकारी बोर्ड के सदस्य और फ्रांसीसी फुटबॉल दिग्गज मिशेल प्लाटिनी को कतर में फीफा 2022 विश्व कप की मेजबानी दिए जाने के कारण लगे आरोपों पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. दिसंबर 2010 में चौंकाने वाले फैसले के खिलाफ जांच और आरोपों की लंबी कतार है ....आइए इससे जानने की कोशिश करें...
कहा जाता है कि 2 दिसंबर 2010 के दिन ज़्यूरिख के फीफा के मुख्यालय में काफी गहमागहमी चल रही थी. इसी दिन 2018 और 2022 के लिए फीफा के मेजबान देशों के नाम का ऐलान होने वाला था. इसमें दावेदारी पेश कर रहे देशों में इंग्लैंड व अमेरिका जैसे देश शामिल थे. इस पर ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की नजर थी. ऐसा माना जा रहा था कि 2018 की मेजबानी इंग्लैंड और 2022 की मेजबानी अमेरिका को मिल जाएगी. लेकिन लोगों को हैरानी तब हुयी जब फीफा के तत्कालीन प्रेसिडेंट सैप ब्लेटर ने 2018 के लिए रूस और 2022 के लिए कतर का नाम बाहर निकाला. इस तरह से रूस को 2018 की और कतर को 2022 के फीफा विश्वकप फुटबॉल की मेजबानी करने का अधिकार मिल गया.
रूस व कतर को मेजबानी न दिए जाने के उस समय 3 बड़े कारण बताए जा रहे थे....
पहला कारण- रूस और कतर दोनों देशों पर मानवाधिकार उल्लंघन के लगातार आरोप लग रहे थे. 2014 में क्रीमिया पर अवैध कब्जे के बाद से पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगाते जा रहे थे. वहीं इस्लामिक देश कतर पर धार्मिक कट्टरता के आरोप लग रहे थे.
दूसरा कारण- आमतौर पर कतर में तापमान 45 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच में रहता है और कतर जैसे देश को इससे पहले इस स्तर के किसी और बड़े आयोजन का अनुभव नहीं था. न ही उनके पास बेहतरीन सुविधाओं वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम्स नहीं थे. और तो और, उस समय तक क़तर के पास अपनी ढंग की फ़ुटबॉल टीम भी नहीं थी.
तीसरा कारण- कतर जैसे देशों में खुले तौर पर समलैंगिकों का विरोध होता रहा है, जबकि फीफा में शामिल और मैच खेलने कई देशों में समलैंगिकों को संवैधानिक अधिकार मिले हुए हैं. खेल आयोजक के तौर पर फीफा भी खुले समलैंगिकों के विचारों का समर्थन करता रहा है. ऐसे में वहां आयोजन फीफा की विचारधार के विपरीत था.
इन्हीं 3 प्रमुख कारणों से रूस और कतर को मेजबानी न दिए जाने के अनुमान लगाए जा रहे थे. लेकिन इन सारे कयासों के विपरीत रूस व कतर को मेजबानी दिए जाने की घोषणा के बाद थोड़े विरोध जरूर हुए लेकिन बाद मामला शांत पड़ गया.
इसके बाद 2015 के जून महीने में अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने फीफा के 7 अधिकारियों को गिरफ्तार करके स्विट्ज़रलैंड में वर्ल्ड कप की मेजबानी को लेकर जांच शुरू हुई. शुरुआती जांच के बाद जस्टिस डिपार्टमेंट ने आरोप लगाया कि इस आयोजन में मार्केटिंग एजेंट्स ने ब्रॉडकास्ट राइट्स हासिल करने के लिए 12 सौ करोड़ रुपये से अधिक की रकम घूस में दी गयी थी. इसके बाद तो गिरफ्तारियों के सिलसिले शुरू हो गए.
कहा जाता है कि जब स्विस अधिकारी 2018 और 2022 की दावेदारी की जांच कर रहे थे, तो तत्कालीन फीफा के अध्यक्ष सैप ब्लेटर पर कुर्सी छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा था. इसीलिए उन्होंने बीच में ही कुर्सी छोड़ दी. इसके साथ साथ UEFA के अध्यक्ष मिशेल प्लातिनी को भी अपने पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके बाद मामले में कई अधिकारियों को भी लपेटे में लिया गया. सैप ब्लेटर को भी जांच का हिस्सा बनाया गया और ब्लेटर पर 8 वर्ष का प्रतिबंध भी लगाया गया. मार्च 2021 में प्रतिबंध को 6 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया. अब वह 2027 तक फीफा की किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सकते हैं.
इस कांड ने भले ही फुटबॉल की दुनिया को दागदार व शर्मसार किया था. लेकिन रूस और कतर से फीफा की मेजबानी छीनी नहीं जा सकी. 2018 में रूस में फीफा का सकुशल आयोजन संपन्न हो चुका है. इस साल कतर भी शानदार तरीके से मेजबानी कर रहा है.....
नवंबर 2010 :तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति व यूईएफए अध्यक्ष निकोलस सरकोजी , कतर के तत्कालीन क्राउन प्रिंस (अब अमीर) तमीम बिन हमद अल-थानी और मिशेल प्लाटिनी के बीच पेरिस में एक कथित "गुप्त बैठक" प्रकाश में आयी थी. दोनों , जो उस समय यूईएफए अध्यक्ष और दोनों थे। फीफा के उपाध्यक्ष।
दिसंबर 2010 :फीफा ने घोषणा की कि कतर 22वें विश्व कप का आयोजन करेगा, क्योंकि कार्यकारी समिति के 22 वोटों में से 14 वोट मिले हैं और उसके पक्ष में फैसला हुआ है. इस फैसले को उस समय आश्चर्यजनक और संदेहास्पद कहा गया.
जनवरी 2011: तत्कालीन फीफा अध्यक्ष सेप ब्लैटर का कहना है कि गर्मी से बचने के लिए उन्हें सर्दियों में इस प्रतियोगिता को आयोजित कराने की उम्मीद है.
मई 2011: कतर को फीफा का आयोजन मिलने के पीछे वोट खरीदने के लिए फीफा की कार्यकारी समिति के सदस्यों को पैसे का भुगतान करने के सारे आरोपों को फीफा विश्वकप कतर 2022 के आोयजकों ने नकार दिया और कहा कि बेवजह उनके नाम पर कीचड़ उछालने की कोशिश की जा रही है.