नई दिल्ली :सुनील छेत्री अंतरराष्ट्रीय करियर के अपने शुरुआती दिनों में पीछे बैठा करते थे और सीनियर खिलाड़ियों का मजाक उड़ाते थे लेकिन 2011 में जब उन्हें कप्तान बनाया गया तो यह सब बदल गया क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि उन्हें टीम के लिए उदाहरण पेश करने की जरूरत है. महान फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया के 2011 एशियाई कप के बाद संन्यास लेने पर तत्कालीन कोच बॉब हॉटन ने दो महीने बाद मलेशिया में होने वाले एएफसी चैलेंज कप क्वालीफायर्स में युवा टीम की अगुआई करने की जिम्मेदारी छेत्री को सौंपी और उन्हें कप्तान बनाया.
छेत्री ने 'डिज्नी प्लस हॉटस्टार' पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम 'लेट दियर बी स्पोर्ट्स' में कहा, 'जिस दिन मलेशिया में बॉब हॉटन ने मुझे कप्तान का आर्मबैंड दिया, उसी समय तुरंत दबाव में आ गया था क्योंकि मैं बैकबेंचर था'. उन्होंने कहा कि वह स्टीवन डियाज और प्रदीप, सीनियर खिलाड़ियों का मजाक उड़ाते थे, मैं ऐसा ही था. सब कुछ मजाक था और मैं शरारती था. छेत्री ने कहा कि लेकिन जब मैंने आर्मबैंड पहना तो शुरुआती तीन-चार मैचों के लिए मैंने आगे बैठना शुरू कर दिया. 38 वर्षीय फुटबॉलर ने कहा कि मैं दबाव महसूस कर रहा था कि मैं अब कप्तान बन गया हूं. अब मुझे सिर्फ अपने बारे में नहीं बल्कि टीम के बारे में सोचना था.