जयपुर:भारतीय मुक्केबाज स्वीटी बूरा का कहना है कि वह उन लोगों में से हैं, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. स्पोर्ट्स टाइगर की नई इंटरव्यू सीरीज मिशन गोल्ड पर बातचीत के दौरान स्वीटी ने कहा, मैंने बॉक्सिंग को इसलिए चुना. क्योंकि मैं स्कूल में बहुत कम बात करती थी. लेकिन हर बार जब चीजें गलत होती थीं, तो मैं इसे संभाल नहीं पाती थी.
उन्होंने कहा, मैं कई बार अपने साथियों को समझाने की कोशिश करती थी, लेकिन फिर भी वे मुझे पलट कर जवाब देते थे तो भी मैं अपने आप को शांत रखने की कोशिश करती थी. लेकिन फिर भी वे नहीं समझते थे तो मैं उन पर मुक्के बरसाती थी.
बॉक्सिंग के प्रति अपने प्यार को महसूस करने के बाद स्वीटी ने साल 2009 में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में एक ट्रायल दिया और एक प्रशिक्षित बॉक्सर के खिलाफ पहले राउंड में हार गईं थी. इसके बाद फिर से उन्होंने हिम्मत जुटाई और अपने प्रतिद्वंद्वी को सिर्फ अपर कट पंच मारकर बाहर कर दिया. इस तरह उन्होंने अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत की.
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स्वीटी ने साई में अपनी पहली फाइट को याद करते हुए कहा, यह मेरी पहली फाइट थी और कोच ने मेरे भाई और मेरे अंकल से कहा कि मैं इस खेल में काफी ऊंचाईयां हासिल कर सकती हूं. उसके बाद मैंने 15 दिनों तक स्टेट के लिए खेला, जहां मैंने स्वर्ण पदक हासिल किया और 3 महीने के भीतर, मैंने राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया, जहां मैंने फिर से एक स्वर्ण हासिल किया. इसके बाद साल 2011 में मैं एक इंटरनेशनल बॉक्सर बन गई और देश के लिए फिर से स्वर्ण पदक हासिल किया.
उन्होंने कहा, साल 2014 में मैं टाइफाइड के कारण बीमार पड़ गई और मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. उस समय उन्होंने घोषणा की कि जो कोई भी राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता बनेगा, केवल वे ही विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा ले पाएंगे. मेरे डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी, लेकिन खेल के प्रति प्यार ने मुझे आगे बढ़ाया और मैं अस्पताल से भाग गई.
100 मीटर की दौड़ लगाकर ट्रेन पकड़ ली और ट्रेन में बेहोश हो गई. मेरे माता-पिता ने मुझे वापस आने के लिए कहा, लेकिन मैं भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए दृढ़ थी और उन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए आशीर्वाद दिया.
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स्वीटी ने कहा, विश्व चैंपियनशिप में मेरे सामने वास्तव में कठिन प्रतिद्वंद्वी थे और वे मेरी वेट कैटेगिरी के लिए ट्रायल करना चाहते थे, क्योंकि उन्हें यकीन था कि मैं नहीं जीत पाऊंगी.