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बहादुर सिंह का 25 साल बाद भारतीय एथलेटिक्स के मुख्य कोच पद से इस्तीफा

एएफआई के अध्यक्ष आदिले सुमारिवाला ने कहा, "जब हम वैश्विक मंच पर अपनी यात्रा देखते हैं तो हम भारतीय एथलेटिक्स में बहादुर सिंह का अपार योगदान पाते हैं जिसे हम हमेशा याद करेंगे. उन्होंने 70 और 80 के दशक के शुरूआती दौर में गोला फेंक खिलाड़ी के रूप में और फिर फरवरी 1995 से मुख्य कोच के रूप में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है."

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Published : Jul 7, 2020, 7:49 PM IST

Bhadur singh
Bhadur singh

नई दिल्ली: भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) के मुख्य कोच बहादुर सिंह ने 25 साल बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

सिंह के मार्गदर्शन में भारत ने 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के एथलेटिक्स में दो स्वर्ण सहित 12 पदक जीते थे उनके रहते ही भारत ने जकार्ता 2018 एशियाई खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया ट्रैक और फील्ड प्रतियोगिता आठ स्वर्ण और नौ रजत सहित 20 पदक अपने नाम किए थे.

भारतीय एथलीट के साथ बहादुर सिंह

एएफआई के अध्यक्ष आदिले सुमारिवाला ने कहा, "जब हम वैश्विक मंच पर अपनी यात्रा देखते है तो हम भारतीय एथलेटिक्स में बहादुर सिंह के अपार योगदान को हमेशा याद करेंगे. उन्होंने 70 और 80 के दशक के शुरूआती दौर में गोला फेंक खिलाड़ी के रूप में और फिर फरवरी 1995 से मुख्य कोच के रूप में योगदान दिया है."

उन्होंने कहा, " हम ओलंपिक खेलों में टीम के साथ उन्हें देखना चाहते थे, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण टोक्यो ओलंपिक स्थगित करने पड़े. हम प्रशिक्षण और कोचिंग की योजना बनाने उनके अनुभव का फायदा उठाने जारी रखेंगे."

सिंह ने 1978 बैंकॉक और 1982 दिल्ली एशियाई खेलों में गोला फेंक में लगातार दो स्वर्ण पदक जीते थे. उन्होंने इससे पहले 1974 में तेहरान में रजत पदक जीता था.

एएफआई लोगो

उन्होंने साथ ही एशियाई ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में भी पदक चार पदक जीते जिसमें 1973 में कांस्य, 1975 में स्वर्ण , 1979 में कांस्य और 1981 में रजत पदक जीता था.

इसके अलावा उन्होंने मॉस्को ओलंपिक में भी देश का प्रतिनिधित्व किया था. सिंह को 1976 में अर्जुन पुरस्कार और 1998 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें 1983 में पद्म श्री मिला था.

एएफआई योजना और कोचिंग समिति के अध्यक्ष ललित भनोट ने कहा, " एशियाई खेलों में देश के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन ने खेल समुदाय में यह विश्वास पैदा किया कि थोड़ी अधिक योजना और प्रयास के साथ भारत अपने स्तर को ऊंचा उठा सकता है और वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ सकता है. बहादुर जी ने इस उत्थान में योगदान दिया."

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