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खिलाड़ी हमारी संपत्ति हैं, ट्रेनिंग को लेकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए: राजीव मेहता

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Published : May 22, 2020, 5:45 PM IST

आईओए के महासचिव राजीव मेहता ने कहा, "यह मेरा निजी विचार है कि अभी ट्रेनिंग शुरू नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह खिलाड़ियों को जोखिम में डाल देगी. कोविड-19 की स्थिति को थोड़ा नियंत्रण में आने का इंतजार करना चाहिए."

IOC
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नई दिल्ली: भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के महासचिव राजीव मेहता को लगता है कि खिलाड़ियों की ट्रेनिंग अभी शुरु नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि कोविड-19 के मामले हर दिन के साथ तेजी से बढ़ते जा रहे हैं.

खेल मंत्रालय ने गुरुवार को भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को मंजूरी दे दी जिनके पालन के साथ ही खिलाड़ी दोबारा से ट्रेनिंग पर लौट सकते हैं.

मेहता ने मीडिया से कहा, "ऐसी भविष्यवाणी की गई है कि कोविड-19 के मामले जून में ज्यादा होंगे. लॉकडाउन के बाद भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसी स्थिति में खिलाड़ियों की ट्रेनिंग शुरू करने को लेकर जल्दबाजी क्यों?"

भारतीय ओलंपिक संघ

मेहता ने कहा कि न ही आईओए, ना ही राज्य संघ और सरकार को खिलाड़ियों को ट्रेनिंग पर लौटने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, "मुझे समझ में नहीं आता की ट्रेनिंग शुरू करने की जल्दबाजी क्या है. यह मेरा निजी विचार है कि अभी ट्रेनिंग शुरू नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह खिलाड़ियों को जोखिम में डाल देगी. कोविड-19 की स्थिति को थोड़ा नियंत्रण में आने का इंतजार करना चाहिए."

साई द्वारा जारी की गई एसओपी में खिलाड़ियों से ट्रेनिंग के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने को कहा है. एसओपी ने साथ ही लिखा है कि ट्रेनिंग शुरू करने से पहले खिलाड़ियों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा था.

भारतीय खेल प्राधिकरण

इससे पहले आईओए अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने मेहता को बताया था कि उनसे महासचिव की कुछ जिम्मेदारियां ली जा रही हैं.

अपने ईमेल में बत्रा ने कहा, "मैंने आपके काम के बोझ को कम करने/बांटने का फैसला किया है और आगे आने वाले दिनों में जो जरूरी होगा वो करूंगा. चूंकि मैं दिल्ली में रहता हूं और कुछ लोग लगातार दिल्ली आते रहते हैं तो हम सब मिलकर जिम्मेदारी निभा लेंगे."

मेहता ने हालांकि बत्रा के पत्र का जवाब देते हुए लिखा कि वह अपने ऊपर काम का बोझ नहीं महसूस कर रहे हैं.

मेहता ने लिखा, "मुझे नहीं पता कि क्या हुआ है. हर चीज हमारे संविधान में लिखी हुई है और सभी तरह के काम लोगों को बांटे गए हैं. अचानक से मुझे बताया जा रहा है कि मेरी कुछ जिम्मेदारियां मुझसे वापस ली जा रही हैं."

उन्होंने लिखा, "अध्यक्ष को लगता है कि मुझ पर ज्यादा जिम्मेदारी या दबाव है. मुझे हालांकि ऐसा नहीं लगता. मुझे जो जिम्मेदारियां दी गई हैं उनके साथ मैं सहज हूं."

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