नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस और प्रदर्शनकारी पहलवानों के बीच जंतर मंतर पर देर रात हाथापाई के बाद आरोप प्रत्यारोप और सियासत शुरू हो गई है और पहलवानों ने सरकार को पद्मश्री समेत अपने पुरस्कार और पदक लौटाने की धमकी दे डाली है. इस बीच उच्चतम न्यायालय ने महिला पहलवानों की याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी जिन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये हैं. उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले इस बात का संज्ञान लिया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और सात शिकायतकर्ताओं को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गयी है.
सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि नाबालिग समेत पांचों शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज कर लिये गए हैं. वहीं याचिका पर सुनवाई बंद करने के न्यायालय के फैसले के बाद प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा कि यह उनके लिये झटका नहीं है और वे भाजपा सांसद बृजभूषण के गिरफ्तार होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे. जंतर मंतर पर जारी धरने के 12वें दिन दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया कि पुलिसकर्मी ने नशे की हालत में बुधवार देर रात उन पर बल प्रयोग किया. नई दिल्ली पुलिस उपायुक्त प्रणव तयाल ने कहा कि पांच पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जिनमें दो महिलायें भी है.
दूसरी ओर पहलवानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी पिटाई की है और कुछ को सिर में चोट लगी है. पहलवानों के समर्थन में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली पुलिस पर झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया. दिल्ली में पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है. पुलिस ने धरना स्थल पर अतिरिक्त बल तैनात करके सुरक्षा इंतजाम बढा दिये हैं जिसमें सीसीटीवी कैमरा, कई अवरोधक लगाना और राजधानी की सीमाओं पर कड़ी निगरानी शामिल है ताकि किसानों को प्रवेश से रोका जा सके.
दिल्ली पुलिस ने पहलवानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिये दिल्ली आ रहे किसानों के एक समूह को सिंघु सीमा पर रोका है और अधिकारियों का कहना है कि 24 को हिरासत में लिया गया है. डीसीपी तयाल ने कहा कि बुधवार की रात बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मी तैनात थीं. उन्होंने ट्वीट किया, 'पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल का प्रयोग नहीं किया. जहां तक एक प्रदर्शनकारी की चोट का सवाल है तो वह डॉक्टरों के मना करने के बावजूद अस्पताल से चला आया और पुलिस को अभी तक बयान नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि मेडिकल जांच में कोई पुलिसकर्मी नशे की अवस्था में नहीं पाया गया.
बुधवार की रात लगभग 11 बजे तब हंगामा शुरू हो गया जब पहलवान सोने के लिए फोल्डिंग चारपाई लेकर आए और ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने इसके बारे में पूछताछ शुरू कर दी क्योंकि नियमों के अनुसार प्रदर्शन स्थल पर इस तरह की चीजें लाने की अनुमति नहीं है. विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने दावा किया कि पुरुष पुलिस अधिकारियों ने उन्हें धक्का दिया और उनके लिए अपशब्दों का उपयोग किया जिससे उनके आंसू आ गए.
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया ने गुरुवार की सुबह पत्रकारों से कहा, 'अगर पहलवानों के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है तो फिर हम इन पदकों का क्या करेंगे. इसके बजाय हम अपने सभी पदक और पुरस्कार भारत सरकार को लौटाकर सामान्य जिंदगी जिएंगे. विनेश, साक्षी और बजरंग तीनों देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न विजेता हैं। साक्षी (2017) और बजरंग (2019) को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है.