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जंतर मंतर पर पहलवानों और पुलिस की झड़प के बाद आरोप प्रत्यारोप शुरू, पहलवानों ने दी पुरस्कार लौटाने की धमकी

नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर भारत के शीर्ष पहलवानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है. प्रदर्शनरत पहलवानों ने अब अपने पदमश्री जैसे पदक लौटाने की धमकी दे डाली है...

vinesh phogat, sakshi malik and bajrang punia
विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया

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Published : May 4, 2023, 10:51 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस और प्रदर्शनकारी पहलवानों के बीच जंतर मंतर पर देर रात हाथापाई के बाद आरोप प्रत्यारोप और सियासत शुरू हो गई है और पहलवानों ने सरकार को पद्मश्री समेत अपने पुरस्कार और पदक लौटाने की धमकी दे डाली है. इस बीच उच्चतम न्यायालय ने महिला पहलवानों की याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी जिन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये हैं. उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले इस बात का संज्ञान लिया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और सात शिकायतकर्ताओं को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गयी है.

सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि नाबालिग समेत पांचों शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज कर लिये गए हैं. वहीं याचिका पर सुनवाई बंद करने के न्यायालय के फैसले के बाद प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा कि यह उनके लिये झटका नहीं है और वे भाजपा सांसद बृजभूषण के गिरफ्तार होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे. जंतर मंतर पर जारी धरने के 12वें दिन दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया कि पुलिसकर्मी ने नशे की हालत में बुधवार देर रात उन पर बल प्रयोग किया. नई दिल्ली पुलिस उपायुक्त प्रणव तयाल ने कहा कि पांच पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जिनमें दो महिलायें भी है.

दूसरी ओर पहलवानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी पिटाई की है और कुछ को सिर में चोट लगी है. पहलवानों के समर्थन में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली पुलिस पर झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया. दिल्ली में पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है. पुलिस ने धरना स्थल पर अतिरिक्त बल तैनात करके सुरक्षा इंतजाम बढा दिये हैं जिसमें सीसीटीवी कैमरा, कई अवरोधक लगाना और राजधानी की सीमाओं पर कड़ी निगरानी शामिल है ताकि किसानों को प्रवेश से रोका जा सके.

दिल्ली पुलिस ने पहलवानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिये दिल्ली आ रहे किसानों के एक समूह को सिंघु सीमा पर रोका है और अधिकारियों का कहना है कि 24 को हिरासत में लिया गया है. डीसीपी तयाल ने कहा कि बुधवार की रात बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मी तैनात थीं. उन्होंने ट्वीट किया, 'पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल का प्रयोग नहीं किया. जहां तक एक प्रदर्शनकारी की चोट का सवाल है तो वह डॉक्टरों के मना करने के बावजूद अस्पताल से चला आया और पुलिस को अभी तक बयान नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि मेडिकल जांच में कोई पुलिसकर्मी नशे की अवस्था में नहीं पाया गया.

बुधवार की रात लगभग 11 बजे तब हंगामा शुरू हो गया जब पहलवान सोने के लिए फोल्डिंग चारपाई लेकर आए और ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने इसके बारे में पूछताछ शुरू कर दी क्योंकि नियमों के अनुसार प्रदर्शन स्थल पर इस तरह की चीजें लाने की अनुमति नहीं है. विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने दावा किया कि पुरुष पुलिस अधिकारियों ने उन्हें धक्का दिया और उनके लिए अपशब्दों का उपयोग किया जिससे उनके आंसू आ गए.

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया ने गुरुवार की सुबह पत्रकारों से कहा, 'अगर पहलवानों के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है तो फिर हम इन पदकों का क्या करेंगे. इसके बजाय हम अपने सभी पदक और पुरस्कार भारत सरकार को लौटाकर सामान्य जिंदगी जिएंगे. विनेश, साक्षी और बजरंग तीनों देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न विजेता हैं। साक्षी (2017) और बजरंग (2019) को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है.

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिला पहलवानों की हालत पर चिंता जताते हुए भाजपा पर हमले बोले. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बृजभूषण को बर्खास्त करने की मांग की. वहीं भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि पहलवानों के प्रदर्शन की विश्वसनीयता राजनीतिज्ञों के इसमें शामिल होने के बाद खत्म हो गई है.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'देश के खिलाड़ियों के साथ इस तरह का बर्ताव शर्मनाक है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पहलवानों की रोते हुए वीडियो टैग करके कहा कि देश का नाम रोशन करने वाली महिला खिलाड़ियों के आंसू देखना दुखद है. बनर्जी ने ट्वीट किया, 'इस तरह से हमारी बेटियों का अपमान शर्मनाक है. भारत अपनी बेटियों के साथ है और मैं निश्चित तौर पर हमारे पहलवानों के साथ हूं. स्टालिन ने आरोप लगाया कि महिला सशक्तिकरण के प्रधानमंत्री के झूठे वादों के विपरीत भाजपा एक आरोपी को बचाने में लगी है.

लेखी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि केंद्र काफी संवेदनशीलता के साथ पहलवानों के मसले से निपट रहा है चूंकि मामला अदालत में है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों समेत अलग अलग तबकों के लोग पहलवानों के समर्थन में जंतर मंतर पहुंचे. उन्होंने 'नारी शक्ति जिंदाबाद, पहलवान एकता जिंदाबाद, जो हमसे टकरायेगा, चूर चूर हो जायेगा' जैसे नारे लगाये. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने पहलवानों के वकील की इस मौखिक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि इस मामले में चल रही जांच पर किसी उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त या सेवारत न्यायाधीश निगरानी रखें.

पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पर्डीवाला भी शामिल थे. पीठ ने कहा, 'आप यहां प्राथमिकी दर्ज कराने और शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा की विशेष प्रार्थना लेकर आये थे. आपकी दोनों प्रार्थनाओं को मान लिया गया है. अगर आपको अन्य कोई शिकायत है तो आप उच्च न्यायालय या संबंधित मजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं. पीठ ने कहा कि वह फिलहाल कार्यवाही बंद कर रही है.

(पीटीआई: भाषा)

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