नई दिल्ली: हॉकी इंडिया (एचआई) के पूर्व अध्यक्ष मुश्ताक अहमद ने खेल मंत्रालय पर भारत के 2011 के राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के आवेदन में पक्षपात करने और धर्म के कारण उनके साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है.
अहमद ने सात जुलाई को अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. एचआई के कार्यकारी बोर्ड ने शुक्रवार को बैठक रखी थी और मणिपुर के ज्ञानेंद्र निंगोमबाम को अपना नया अध्यक्ष चुना था.
लेकिन इसके एक सप्ताह बाद ही अहमद ने खेल मंत्रालय को लिखे पत्र में आरोप लगाते हुए कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय का होने के कारण उन्हें निशाना बनाया गया और उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि उनका नाम मोहम्मद मुश्ताक अहमद है.
खेल सचिव रवि मित्तल को लिखे पत्र में अहमद ने कहा कि वह एक अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, इसलिए उन्हें पद से हटना पड़ा जबकि अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघों के अध्यक्षों को खेल संहिता के कथित उल्लंघन के बावजूद उन्हें उनके पद पर बने रहने दिया जा रहा है.
अहमद ने अपने पत्र में लिखा, "मैं अपनी भावना को बयां करना चाहता हूं कि खेल मंत्रालय के इस फैसले से मेरे खिलाफ गलत इरादा है क्योंकि हॉकी इंडिया का अध्यक्ष अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, जबकि सुधांशु मित्तल, राजीव मेहता और महासचिव आनंदेश्वर पांडे (मैं अलग से हैंडबॉल चुनाव के मुद्दों को साझा करूंगा) जैसे नामों के साथ जो क्रमश: खो खो, तलवारबाजी और हैंडबॉल में खेल संहिता के उल्लंघन के बावजूद अपने पद पर बने हुए हैं. इससे मुझे लगता है कि मेरा नाम मोहम्मद मुश्ताक अहमद होने से समस्या है."
अहमद ने अपने पत्र की एक कॉपी केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू को भी भेजा है. खेल मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ही कहा था कि उनका 2018 का चुनाव खेल संहिता का उल्लंघन था.