नई दिल्ली: स्टार भारतीय स्ट्राइकर दिलप्रीत सिंह ने बुधवार को कहा कि टीम की टोक्यो ओलंपिक खेलों की कांस्य पदक की सफलता का कारण यह था कि खिलाड़ियों ने कभी भी महामारी के दौरान किसी भी कठिनाई को अपने मनोबल पर असर नहीं पड़ने दिया. दिलप्रीत ने कहा, हम सभी ने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की.
हमने कभी भी महामारी के दौरान किसी भी कठिनाई को अपने मनोबल को प्रभावित नहीं होने दिया. मैं इस जीत का हिस्सा बनकर बहुत भाग्यशाली महसूस करता हूं. मैं भाग्यशाली रहा हूं कि मुझे अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की इतनी अच्छी शुरूआत मिली है.
21 वर्षीय दिलप्रीत ने कहा कि उन्हें हॉकी इंडिया और सहयोगी स्टाफ से समर्थन मिला, खासकर जब उन्हें 2018 एफआईएच पुरुष विश्व कप के बाद सीनियर टीम से बाहर कर दिया गया था,जब टीम क्वार्टरफाइनल में बाहर हो गई थी, जो उनके लिए महत्वपूर्ण मोड़ बन गया.
दिलप्रीत ने कहा, पीछे मुड़कर देखें, तो निश्चित रूप से वह मेरे लिए आसान दौर नहीं था. हो सकता है कि मैं अपने करियर में इतनी जल्दी इतने बड़े टूनार्मेंट में खेलने की सफलता को संभाल नहीं पाया. मैं तब मुश्किल से 18 या 19 साल का था. लेकिन मैं वास्तव में आभारी हूं हॉकी इंडिया और सहयोगी स्टाफ के लिए जिन्होंने मुझे वह सभी समर्थन दिया जिसकी मुझे जरूरत थी और एक खिलाड़ी के रूप में मुझे परिपक्व होने में मदद की.
दिलप्रीत ने कहा, जूनियर टीम के कोचों ने 2019 के दौरान मुझे रास्ता दिखाया और मैंने उस समय बेंगलुरु में मनोवैज्ञानिक के साथ मिलकर काम किया. मुख्य कोच ग्राहम रीड के पदभार संभालने के बाद, उन्होंने मुझे अभ्यास के दौरान देखा और मुझसे व्यक्तिगत रूप से बात की और इससे मुझे बहुत प्रेरणा मिली. सीनियर ग्रुप में वापस आने का मौका मिलने के बाद, मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
दिलप्रीत को लगता टीम के पास वह जज्बा है कि वह लगातार शानदार प्र्दशन कर सकते हैं.
दिलप्रीत ने कहा, मैं वास्तव में मानता हूं कि यह एक नई शुरूआत है. हम सभी यहां से और बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं, और हम चाहते हैं कि लोग हमें और अधिक प्यार दें और हमारा समर्थन करना जारी रखें. और ऐसा तभी होगा जब हम प्रमुख टूनार्मेंटों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करेंगे. हम इसकी तैयारी करने में जुट और हमने इसके लिए अपने आप को मानसिक रूप से भी तैयार कर रहे हैं.