दिल्ली

delhi

ETV Bharat / sports

'2014 में अगर सचिन के साथ ध्यानचंद को भारत रत्न दे दिया जाता तो कोई विवाद पैदा नहीं होता' - 1932 Los Angeles Olympics

1982 चैंपियंस ट्रॉफी में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी करने वाले जफर इकबाल ने कहा है कि 2014 में सचिन तेंदुलकर के साथ अगर हॉकी के जादूगर ध्यान चंद को भी भारत रत्न का सम्मान दे दिया जाता तो कोई विवाद पैदा नहीं होता.

जफर इकबाल
जफर इकबाल

By

Published : Jan 6, 2021, 10:12 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान जफर इकबाल ने कहा है कि हॉकी के जादूगर ध्यान चंद देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के सबसे बड़े हकदार हैं.

इकबाल ने कहा, "जहां तक खेलों का सवाल है, तो ध्यान चंद भारत रत्न के सबसे बड़े हकदार हैं."

2014 में दिग्गज भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले और एकमात्र खिलाड़ी थे. हालांकि इससे पहले भी, ध्यान चंद को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित करने की मांग उठ चुकी है.

पूर्व भारतीय कप्तान जफर इकबाल

पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित इकबाल ने कहा, "सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न पुरस्कार दिया गया है. उस समय भी, हमने सरकार से ध्यान चंद को प्रतिष्ठित पुरस्कार देने का अनुरोध किया था. वास्तव में हम दशकों से सरकार से अनुरोध कर रहे हैं. मुझे अभी भी याद है कि सचिन को सम्मानित किया गया था. तब हमने बाराखंभा ट्रैफिक क्रॉसिंग पर महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा से जंतर मंतर तक एक जुलूस निकाला था और सरकार को याद दिलाने के लिए हम भी जंतर-मंतर पर कुछ समय के लिए बैठे थे."

पूर्व कप्तान ने आगे कहा, "सचिन को भारत रत्न दिए जाने से पहले भी ध्यान चंद की फाइल खेल मंत्रालय से पीएमओ में चली गई थी. लेकिन उनकी फाइल पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई. मुझे याद है कि फैसला करने के लिए एक जनमत सर्वेक्षण हुआ था कि किस खिलाड़ी को भारत रत्न दिया जाना चाहिए और अधिकतर लोगों ने ध्यान चंद के पक्ष में वोट किया था. वास्तव में उन्हें और सचिन दोनों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा सकता था. इससे कोई विवाद पैदा नहीं होता."

हॉकी के जादूगर ध्यान चंद

ग्रेग क्लार्क भारतीय पुरुष हॉकी टीम के विश्लेषणात्मक कोच नियुक्त

ध्यान चंद एम्स्टर्डम (1928), लॉस एंजेलिस (1932) और बर्लिन (जहां वे कप्तान थे) में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे. 1948 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने वाले ध्यान चंद ने कई मैच खेले और सैकड़ों गोल किए थे.

देश में हर साल 29 अगस्त को उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है.

इकबाल की कप्तानी में भारत ने हॉलैंड में 1982 में चैंपियंस ट्रॉफी में कांस्य पदक जीता था. उन्होंने कहा कि भले ही ध्यानचंद को भारत रत्न नहीं मिला फिर भी वे अपने 'जादुई खेल' के लिए जाने जाते हैं.

भारत रत्न के साथ सचिन तेंदुलकर

इकबाल ने कहा, "मेरी व्यक्तिगत भावना यह है कि भले ही उन्हें भारत रत्न नहीं मिला, फिर भी वह एक किंवदंती बने रहेंगे. हॉकी के क्षेत्र में देश के लिए उनका बहुत ही बड़ा योगदान है. हमें इस पर बहुत गर्व है कि वह अपने खेल से पहचाने जाते हैं ना कि भारत रत्न द्वारा."

उन्होंने कहा, "सचिन के साथ भी ऐसा ही है. उन्हें उनके खेल से जाना जाता है, न कि केवल भारत रत्न से. खिलाड़ियों को उनके खेल से जाना जाता है, पुरस्कारों से नहीं."

ABOUT THE AUTHOR

...view details