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FIH सीईओ ने बताया, आखिर क्यों भारत को लगातार दूसरी बार दी गई विश्व कप की मेजबानी - विश्व हॉकी महासंघ

एफआईएच के सीईओ ने कहा कि, 'मैं खुश हूं कि हमने भुवनेश्वर जैसे स्थल को दूसरी बार इस्तेमाल करने का फैसला किया है. उस स्थल के निर्माण के लिए काफी मेहनत और निवेश हुआ है. मेरे विचार से हमारे पास फिलहाल जितने भी स्थल है, वह सर्वश्रेष्ठ है.'

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Published : Dec 11, 2019, 9:53 AM IST

नई दिल्ली: विश्व हॉकी महासंघ (एफआईएच) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थिएरी वेल ने मंगलवार को कहा कि 2023 में होने वाले पुरूष हॉकी विश्व कप की मेजबानी का अधिकार भारत को योग्यता के आधार पर दिया गया है. यह लगातार दूसरी बार है जब भारत इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की मेजबानी करेगा.

वेल ने कहा कि भारत जैसे देश में खेल की वित्तीय व्यावहारिकता पर विचार करने के बाद मलेशिया की जगह उसे प्राथमिकता दी गई.

उन्होंने कहा, "मेरा ताल्लुक किसी अन्य खेल फुटबॉल से है, जहां जब भी हम विश्व कप का आयोजन करते हैं, तो हम सभी की बेवजह खर्च करने के लिए बहुत आलोचना की जाती है."

वेल ने कहा, "ऐसे में मैं इस बात को लेकर खुश हूं कि हमने भुवनेश्वर जैसे स्थल को दूसरी बार इस्तेमाल करने का फैसला किया है. उस स्थल के निर्माण के लिए काफी मेहनत और निवेश हुआ है. मेरे विचार से हमारे पास फिलहाल जितने भी स्थल है, वह सर्वश्रेष्ठ है."

2018 हॉकी विश्व कप जीतने के बाद बेल्जियम टीम

भारत इस तरह से चार बार विश्व कप (पुरुष) की मेजबानी करने वाला पहला देश बनेगा. भारत ने इससे पहले 1982 (मुंबई), 2010 (नई दिल्ली) और 2018 (भुवनेश्वर) में इस टूर्नामेंट की मेजाबानी की है. नीदरलैंड ने भी तीन बार इसकी मेजबानी की है.

वेल ने कहा, 'मेजबानी की बोली एक खुली प्रक्रिया के तहत थी. मलेशिया सहित अन्य देशों से भी काफी अच्छी बोली मिली.'

भारत को मेजबानी देने का फैसला वाणिज्यिक प्रासंगिकता और उच्च वित्तीय योगदान को ध्यान में रखते हुए तय किया गया था. एफआईएच को राजस्व की आवश्यकता है. भारत ने अपनी बोली में सभी चीजों को अच्छे से शामिल किया था.

उन्होंने कहा, "ईमानदारी से कहूं तो इस खेल में भारत जैसा देश होने से बहुत फर्क पड़ता है क्योंकि देश के आकार और जनसंख्या के साथ यहां हॉकी प्रेमियों की बड़ी संख्या है."

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