नई दिल्ली : पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने एआईएफएफ डॉट टीवी से बात करते हुए कहा, "मैं देश के युवा खिलाड़ियों को सलाह दूंगा कि वो जोखिम लें और विदेशी क्लबों में खेलें. आपको बलिदान देना होगा और हो सकता है कि आपको उतना पैसा नहीं मिले जितना भारत के शीर्ष खिलाड़ियों को मिलता है. एक बार जब आप 25-26 साल के हो जाते हो तो आप वित्तीय पहलू को देख सकते हो."
उन्होंने कहा, "हमारे खिलाड़ियों को यूरोप की शीर्ष लीगों में खेलने की जरूरत नहीं है. वो लोग चीन, जापान, कोरिया कतर, संयुक्त अरब अमीरात जैसे एशियाई देशों में खेल सकते हैं, साथ ही बेल्जियम जैसे देशों में भी खेल सकते हैं."
पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया का बयान
उन्होंने कहा, "विदेशों में खेलने से आप काफी कुछ सीखते हैं. तकनीक रूप से नहीं तो आपको पता चलता है कि पेशेवर फुटबॉल क्या है और फुटबॉल किस तरह से काम करती है. एक खिलाड़ी के तौर पर आप ज्यादा सीखते हैं और सुधार करते हैं. मेरा बरी एफसी के साथ अनुभव अच्छा रहा था। इससे मुझे पता चला कि मैं किस तरह का खिलाड़ी हूं."
बाइचुंग ने गुरप्रीत सिंह संधू का उदाहरण दिया, जिन्होंने तीन साल नॉर्वेजियन क्लब स्टैबेक एफसी के साथ बिताए - जहां वह यूईएफए यूरोपा लीग में खेलने वाले पहले भारतीय बने, वो 2017 में भारत लौट आए. 25 साल की उम्र में बेंगलुरू एफसी के लिए करार किया, और बाइचुंग ने गुरप्रीत के फैसले को "अच्छा जुआ" कहा.