लंदन: इटली की फुटबॉल में सुखद वापसी हो गयी, लेकिन इंग्लैंड का किसी बड़े खिताब का पिछले पांच दशकों से भी अधिक समय से चला आ रहा पीड़ादायक इंतजार बदस्तूर जारी रहा और यह केवल एक पेनल्टी शूटआउट के कारण हुआ.
इटली ने रविवार की रात को खेले गये फाइनल में इंग्लैंड को पेनल्टी शूटआउट में 3-2 से हराकर यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप–यूरो 2020 का खिताब जीता. दोनों टीमें नियमित और अतिरिक्त समय तक 1-1 से बराबरी पर थी. यह दूसरा अवसर है जबकि इटली यूरो चैंपियन बना. जियानलुगी डोनारुम्मा ने अपनी बायीं तरफ डाइव लगाकर बुकायो साका का शॉट रोका और इस तरह से इंग्लैंड को अपने पसंदीदा वेम्बले स्टेडियम में लगातार तीसरी बार पेनल्टी शूटआउट में नाकामी हाथ लगी.
अभी चार साल पहले ही इटली की फुटबॉल की स्थिति अच्छी नहीं थी. वह छह दशक में पहली बार विश्व कप में जगह बनाने में असफल रहा था. अब वह यूरोप की सर्वश्रेष्ठ टीम है और कोच राबर्टों मनीची के रहते हुए सर्वाधिक मैचों में अजेय रहने के राष्ट्रीय रिकार्ड की राह पर है. इंग्लैंड पिछले 55 वर्षों में पहली बार किसी बड़े टूर्नामेंट का फाइनल खेल रहा था. उसने 1966 में विश्व कप में जीत के बाद कोई बड़ा खिताब नहीं जीता है. इससे पहले उसने 1990, 1996, 1998, 2004, 2006 और 2012 में बड़े टूर्नामेंटों में पेनल्टी शूटआउट में मैच गंवाये थे.
इंग्लैंड ने ल्यूक शॉ के दूसरे मिनट में किये गये गोल से बढ़त बना ली थी. यह यूरोपीय चैंपियनशिप के फाइनल में सबसे तेज गोल था. इटली के लियोनार्डो बोनुची ने 67वें मिनट में बराबरी का गोल किया. लंदन के रहने वाले 19 वर्षीय साका को पेनल्टी में उनकी चूक के बाद इंग्लैंड के कई खिलाड़ियों ने गले लगाया. इंग्लैंड के कोच गेरेथ साउथगेट इससे पिछली पेनल्टी चूकने वाले जादोन सांचो के गले लगे जबकि पेनल्टी में नाकाम रहे एक अन्य खिलाड़ी मार्कस रशफोर्ड निराश होकर मैदान से बाहर चले गये.
सांचो और रशफोर्ड को अतिरिक्त समय के अंतिम क्षणों में स्थानापन्न के रूप में लाया गया था. ऐसा लगता है कि पेनल्टी लेने की उनकी विशेषज्ञता के कारण यह फैसला किया गया था. निर्णायक पेनल्टी रोकने के बाद डोनारुम्मा के आंसू नहीं थम रहे थे. उनके साथी उनकी तरफ दौड़ पड़े और उन्हें अपने गले लगा दिया. इटली के प्रशंसक मदहोश थे और खिलाड़ी जोश में. इटली ने इससे पहले 1968 में यूरोपीय चैंपियनशिप जीती थी.
यूरोपीय चैंपियनशिप के पिछले छह में से तीन फाइनल की तरह यह मैच भी अतिरिक्त समय तक खिंच गया. यह अप्रत्याशित नहीं था क्योंकि दोनों सेमीफाइनल भी अतिरिक्त समय तक खिंचे थे और उन मैचों में भी इन दोनों टीमों ने अपनी रक्षात्मक क्षमता का अच्छा नमूना पेश किया था.