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भारत के महान फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामी का निधन

1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान चुन्नी गोस्वामी का गुरूवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे.

Chuni Goswami
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Published : Apr 30, 2020, 7:26 PM IST

कोलकाता: भारत के महान पूर्व फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामी का गुरूवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे.

उन्होंने यहां एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके परिवार में पत्नी और बेटा सुदिप्तो हैं.

गोस्वामी 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान थे और बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेले थे.

परिवार के सूत्र ने मीडिया से कहा, "उन्हें दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल में करीब पांच बजे उनका निधन हो गया. वह मधुमेह, प्रोस्ट्रेट और तंत्रिका तंत्र संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे."

चुन्नी गोस्वामी

गोस्वामी ने भारत के लिए बतौर फुटबॉलर 1956 से 1964 तक 50 मैच खेले. वहीं क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया. उनकी कप्तानी में 1971-72 में बंगाल की रणजी टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया था. हालांकि फाइनल में टीम को मुंबई की टीम के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

उनकी कप्तानी में भारतीय फुटबॉल टीम ने 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता, जबकि 1964 में एशियाई कप में उपविजेता रहा. क्लब फुटबॉल की बात करें तो गोस्वामी हमेशा मोहन बागान के लिए खेलते थे. अपने कॉलेज के दिनों में, उन्होंने एक ही साल में फुटबॉल और क्रिकेट दोनों में कलकत्ता विश्वविद्यालय की कप्तानी की थी.

चुन्नी गोस्वामी

27 साल की उम्र में 1964 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास ले लिया था.

चुन्नी गोस्वामी को साल 1958 में वेटरंस स्पोर्टस क्लब कलकत्ता द्वारा 'बेस्ट फुटबॉलर' सम्मान से सम्मानित किया गया था. उन्हें 1963 में अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया गया जबकि 1983 में उन्हें पद्मश्री देकर सम्मानित किया गया था.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने उनके निधन पर शोक जताया है.

बीसीसीआई ने ट्वीट कर लिखा, "बोर्ड चुन्नी गोस्वामी के निधन पर शोक व्यक्त करता है. वे सच्चे मायने में एक ऑलराउंडर थे. उन्होंने 1962 में एशियाई खेलों में भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तानी की और गोल्ड मेडल जीता. वे बंगाल के लिए रणजी मैच भी खेले. अपनी कप्तानी में उन्होंने टीम को 1971-72 रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पंहुचाया था."

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