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गोकुलम एफसी के मालिक ने कहा - भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी खिलाड़ियों के साथ मुकाबला करना चाहिए - गोकुलम एफसी

गोकुलम एफसी के मालिक वीसी प्रवीण ने कहा है कि, 'विदेशी खिलाड़ियों की संख्या में कमी से निश्चित रूप से भारतीय खिलाड़ियों के चमकने का मार्ग प्रशस्त होता है. उन्हें (भारतीयों को) अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए और उन्हें ना केवल विदेशी खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए बल्कि उनसे भी बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए."

gokulam fc
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Published : May 6, 2020, 12:05 PM IST

नई दिल्ली: गोकुलम एफसी ने 2019 में डुरंड कप जीतकर एक बार फिर से भारत के फुटबॉल मानचित्र पर खुद को स्थापित कर लिया था, लेकिन क्लब के मालिक वीसी प्रवीण इससे ही संतुष्ट नहीं हैं और वह चाहते हैं कि उनके क्लब के साथ साथ अन्य भारतीय खिलाड़ी भी सर्वश्रेष्ठ विदेशी खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करें.

भारतीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच इगोर स्टीमाक ने हाल ही में कहा था कि भारतीय फुटबॉल क्लबों में विदेशी खिलाड़ियों की संख्या कम करने की जरूरत है.

गोकुलम एफसी के मालिक वीसी प्रवीण

प्रवीण ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा, "हमें अपने राष्ट्रीय कोच इगोर स्टीमाक के विचारों का सम्मान करने की जरूरत है. उन्होंने भारतीय फुटबॉल की गहन विश्लेषण किए बिना यह सुझाव नहीं दिया होगा. एआईएफएफ को यह सुनिश्विच करना चाहिए कि आई लीग और आईएसएल, दोनों लीग में एक समान नंबर होना चाहिए."

उन्होंने कहा, "लेकिन विदेशी खिलाड़ियों की संख्या में कमी से निश्चित रूप से भारतीय खिलाड़ियों के चमकने का मार्ग प्रशस्त होता है. उन्हें (भारतीयों को) अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए और उन्हें ना केवल विदेशी खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए बल्कि उनसे भी बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए."

पहले स्थान पर क्वालिटी खिलाड़ियों की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रवीण ने राष्ट्रीय फुटबॉल लीग (एनएफएल) के प्रारंभिक चरणों से उदाहरण दिया. उनका मानना है कि युवा स्तर पर ही प्रतिभाओं की पहचान करने का काम करना चाहिए.

गोकुलम एफसी की टीम डुरंड कप जीतने के बाद

उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय टीम की चयन नीतियों के साथ क्लबों की नीतियों को न मिलाएं. एनएफएल के शुरूआती चरण में जब विदेशियों का चयन कम हो गया था तब बाइचुंग भूटिया (96-97) और रमन विजयन (97-98) लीग में एकमात्र शीर्ष स्कोरर थे."

प्रवीण ने कहा, " लेकिन फिर विदेशी खिलाड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी होने के बाद 2013-14 सीजन में सुनील छेत्री को छोड़कर केवल विदेशी ही थे, जोकि शीर्ष स्कोरर थे. पिछले तीन वर्षों में केवल तीन ही भारतीय खिलाड़ी शीर्ष स्कोरर बनकर उभरे हैं."

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