नई दिल्ली : क्रिकेट की दुनिया में 'युवराज सिंह' नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है. युवराज सिंह का नाम जुबान पर आते ही एक लंबे-चौड़े क्रिकेट खिलाड़ी की आकृति आंखों के सामने आ जाती है. बाएं हाथ का एक ऐसा हरफनमौला खिलाड़ी जो लंबे-लंबे छक्के मारता था, गेंदबाजी में जरुरत के समय टीम के लिए विकेट निकालता था और अपनी शानदार फिल्डिंग से विरोधियों को धूल चटा देता था. जाहिर तौर पर भारतीय क्रिकेट टीम में किसी दूसरे युवराज सिंह का आना बेहद मुश्किल बात है. युवराज सिंह ने हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में क्रिकेट में अपने कमबैक को लेकर बड़ा खुलासा किया है.
युवराज सिंह ने टीम इंडिया को 2007 टी20 विश्व कप और वनडे विश्व कप 2011 में चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. 2011 वर्ल्ड कप में तो टीम इंडिया के लिए युवी ने अपनी जान की बाजी तक लगा दी थी. युवराज सिंह को विश्व कप के दौरान पता चला था कि उन्हें कैंसर जैसी घातक बिमारी है, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने भारतीय टीम के लिए खेलना जारी रखा और टीम को विश्व विजेता बनाकर ही दम लिया. 2011 वर्ल्ड कप में गेंद और बल्ले दोनों से शानदार प्रदर्शन करने के लिए युवराज सिंह को 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' अवॉर्ड से नवाजा गया था. हालांकि इसके बाद को कैंसर का इलाज कराने के लिए अमेरिका चले गए थे, और क्रिकेट के मैदान से दूर हो गए थे.
इसके बाद युवराज सिंह ने साल 2017 में क्रिकेट के मैदान पर वापसी की. तब भारतीय टीम की कमान विराट कोहली के हाथों में थी. हाल ही में दिए अपने इंटरव्यू में युवराज सिंह ने क्रिकेट में अपने कमबैक का क्रेडिट विराट कोहली और एमएस धोनी को दिया है. युवराज सिंह ने दोनों की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि, 'जब मैंने वापसी की तो विराट कोहली और एमएस धोनी ने मेरा बहुत समर्थन किया और जितनी हो सकती थी उतनी मेरी मदद की. विराट कोहली जब कप्तान थे तो उन्होंने मेरा खूब समर्थन किया अगर विराट नहीं होते तो टीम इंडिया में कभी मेरी वापसी नहीं हो पाती'.