हैदराबाद:भारत की महिला टीम देश की क्रिकेट व्यवस्था का एक अभिन्न अंग है. इसमें कई बेहतरीन प्रतिभाएं भी हैं. बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी, सभी में कोई न कोई महिला खिलाड़ी सुपरस्टार है. एक मजबूत बेंच स्ट्रेंथ होने के बावजूद भी इस साल भारतीय महिला क्रिकेट टीम को जोरदार मेहनत करनी पड़ी.
दुनिया भर में उपजी परिस्थितियों ने महिला क्रिकेट पर भी भारी असर डाला, जिससे हर खिलाड़ी के खेल का समय कम हो गया. नतीजतन, अनुभव की कमी ने उस क्षेत्र पर प्रभाव डाला है, जो सीधे परिणामों को प्रभावित करता है.
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बता दें, साल 2021 मार्च महीने में भारत ने द्विपक्षीय सीरीज में दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी की. कोरोना की पहली लहर के बाद देश में महिला क्रिकेट का स्वागत करने के लिए एक टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था. खिलाड़ी लंबे अंतराल के बाद मैदान पर लौटे थे. लेकिन टी-20I में पांच मैचों की एकदिवसीय सीरीज महिला टीम 1-4 और 2-1 से हार गई. जैसे ही लोग दूसरी लहर के बाद सामान्य होने लगे, भारत ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया, लेकिन वहां भी स्थिति निराशाजनक रही.
भारतीय महिला टीम एकदिवसीय मैचों में इंग्लैंड से 2-1 से हार गई और उसी स्कोर के साथ टी-20I सीरीज भी गंवा दी. ऑस्ट्रेलिया का दौरा अलग नहीं था. ओडीआई में परिणाम पिछले एक जैसा ही था, लेकिन सबसे छोटे प्रारूप में थोड़ा अलग था.
कोच बदलना भी सही नहीं रहा
अपने ही देश में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ निराशाजनक सीरीज के बाद तत्कालीन मुख्य कोच डब्ल्यूबी रमन सवालों के घेरे में आ गए. चूंकि, उनका कार्यकाल पूरा होने वाला था, बीसीसीआई को एक नए चेहरे की तलाश थी. 13 मई को बोर्ड की क्रिकेट सलाहकार समिति (CAC) ने रमेश पोवार की नियुक्ति की पुष्टि की. यह एक आश्चर्यजनक कदम था, क्योंकि साल 2018 में पोवार से रमन ने पदभार संभाला था.
एक और आश्चर्यजनक खिलाड़ी मिताली राज और पोवार का फिर से मिलन था. एक चर्चा, जो उस समय सुर्खियों में आई. जब महिला टीम के साथ उनका पिछला कार्यकाल समाप्त हो गया. करीब तीन साल बाद, दोनों एक नई शुरुआत के लिए तैयार थे और कहा कि दोनों आगे बढ़ गए हैं. लेकिन कोच बदलने से काम नहीं चला, क्योंकि भारत ने विदेशों में सभी सफेद गेंद की सीरीज को बुरी तरह से खो दिया. हालांकि, वे इस साल खेले गए दोनों टेस्ट ड्रा करने में सफल रहे.
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कुछ नामों को छोड़कर, इस साल अधिकांश भारतीय बल्लेबाजों ने संघर्ष किया है. इकाई अत्यधिक अस्थिर दिख रही थी, विशेष रूप से मध्य क्रम जो इस साल खेले गए लगभग सभी मैचों में दबाव बनाए रखने में विफल रहा.
टेस्ट में सकारात्मकता
उस निराशाजनक दौर के बीच कुछ सकारात्मक भी देखने को मिली. कुछ उल्लेखनीय कारक, जिन्हें लगातार समर्थन की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए युवा सलामी बल्लेबाज शैफाली वर्मा. उन्होंने इसी साल टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने कई पारी खेली. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पहले टेस्ट में एक के बाद एक पचास से अधिक का स्कोर और अगले में एक और चार टेस्ट पारियों में तीन अर्धशतक. इस तरह शैफाली ने अपने टेस्ट करियर की शानदार शुरुआत की.
एक और खिलाड़ी जो शानदार फॉर्म में हैं, वह हैं स्मृति मंधाना. वह सभी प्रारूपों में स्कोर कर रही हैं और वह भी अच्छे तरीके से. बाएं हाथ की बल्लेबाज सीमित ओवरों के प्रारूप में क्रिकेट की गेंद की एक बेहतरीन स्ट्राइकर रही हैं और जब टेस्ट क्रिकेट की बात आती है, तो वह उतनी ही भरोसेमंद होती हैं. उन्होंने हाल ही में क्वींसलैंड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकमात्र टेस्ट में शतक लगाया था. उन्होंने दूसरी पारी में इंग्लैंड के खिलाफ अर्धशतक भी लगाया था.
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वनडे क्रिकेट में मिताली
जब वनडे क्रिकेट की बात आती है तो वह बल्लेबाजी करने वाली प्रतिभा रही हैं. अधिकांश रनों की संख्या पहले ही हो चुकी है और गिनती अभी भी चल रही है. साल 2021 इस प्रारूप में मिताली राज की निरंतरता का गवाह रहा है. उसने इस साल 10 पारियों में बल्लेबाजी की और 503 रन बनाए, जिसमें 6 पचास से अधिक स्कोर शामिल है. दिलचस्प बात यह है कि वह सिर्फ एक बार सिंगल डिजिट स्कोर पर आउट हुईं. हालांकि वह दो टेस्ट मैचों में रन नहीं बना सकीं, लेकिन एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय में उनका कौशल अतुलनीय है.
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हरमनप्रीत की नरम कप्तानी
इस बल्लेबाज में एक गतिशील प्रतिभा है, लेकिन वह अपने करियर के सबसे कठिन दौर से गुजर रही हैं. न तो वह अपने सामान्य अंदाज में रन बना रही हैं और न ही टीम सबसे छोटे प्रारूप में उनकी कप्तानी में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं. आठ मैचों में से 2 जीत काफी खतरनाक है. पोवार के बोर्ड में शामिल होने के बाद कुछ बेहतर होने की उम्मीद थी. लेकिन ऐसा लगता है कि कोच और थिंक टैंक को बेहतर भविष्य के लिए रोडमैप बनाना होगा.
भारत की गेंदबाजी शानदार
झूलन गोस्वामी और राजेश्वरी गायकवाड़, ये दो नाम हैं, जिन्होंने इस साल सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया है. झूलन ने साल 2021 में सबसे अधिक विकेट लेने वालों के चार्ट पर नाम दर्ज करवाया. उसने 10 एकदिवसीय मैचों में 15 विकेट लिए और दो टेस्ट मैचों में चार विकेट लिए.
वहीं, दूसरी ओर, गायकवाड़ समान रूप से प्रभावित थीं. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पांच एकदिवसीय मैचों में 8 विकेट और 6 टी-20 आई में से 9 गेंद से अपने अधिकार पर मुहर लगाने के लिए आपको और क्या चाहिए?
साल 2021 की टॉप महिला क्रिकेट खिलाड़ी
- टेस्ट फॉर्मेट में टॉप-3 बल्लेबाज
- स्मृति मंधाना ने चार पारियों में 61 की औसत से 244 रन बनाया.
- शेफाली वर्मा ने चार पारियों में 60.5 की औसत से 242 रन बनाया.
- दीप्ति शर्मा ने चार पारियों में 76 की औसत से 152 रन बनाया.
- टेस्ट फॉर्मेट में टॉप-3 गेंदबाज
- दीप्ति शर्मा ने दो पारियों में 20.2 की औसत से पांच विकेट लिया.
- पूजा वस्त्राकर ने तीन पारियों में 23 की औसत से पांच विकेट लिया.
- झूलन गोस्वामी ने 24.75 की औसत से चार विकेट लिया.
- एकदिवसीय फॉर्मेट में टॉप-3 बल्लेबाज
- मिताली राज ने दस पारियों में 62.87 की औसत से 503 रन बनाया.
- स्मृति मंधाना ने 11 पारियों में 35.2 की औसत से 352 रन बनाया.
- पूनम राउत ने 73.75 की औसत से 295 रन बनाया.
- एकदिवसीय फॉर्मेट में टॉप-3 गेंदबाज
- झूलन गोस्वामी ने दस पारियों में 23.13 की औसत से 15 विकेट लिया.
- राजेश्वरी गायकवाड़ ने सात पारियों में 31.12 की औसत से आठ विकेट लिया.
- दीप्ति शर्मा ने दस पारियों में 76.8 की औसत से पांच विकेट लिया.
- टी-20 फॉर्मेट में टॉप-3 बल्लेबाज
- स्मृति मंधाना ने नौ पारियों में 31.87 की औसत से 255 रन बनाए.
- शेफाली वर्मा ने नौ पारियों में 22.22 की औसत से 200 रन बनाए.
- जेमिमा रोड्रिग्स ने पांच पारियों में 31.25 की औसत से 125 रन बनाए.
- टी-20 फॉर्मेट में टॉप-3 गेंदबाज
- राजेश्वरी गायकवाड़ ने पांच पारियों में 12.77 की औसत से नौ विकेट लिया.
- दीप्ति शर्मा ने आठ पारियों में 39.8 की औसत से पांच विकेट लिया.
- शिखा पांडेय ने पांच पारियों में 29 की औसत से चार विकेट लिया.
...अरविंद राव