दिल्ली

delhi

ETV Bharat / sports

Arunachal Athletes Not Allowed In China : अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को चीन में होने वाले खेलों से क्यों रोका जाता है? जानिए वजह - किरेन रिजिजू

Arunachal Athletes not allowed in China : भारत और चीन के बीच एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को वीजा ना देने को लेकर फिर विवाद गहराता हुआ नजर आ रहा है. चीन के हांगझोऊ में खेले जा रहे एशियन गेम्स के 19वें संस्करण से अरुणाचल प्रदेश के 3 एथलीट्स के चीन जाने पर रोक लगा दी गई. इसके बाद से भारत सरकारन ने भी इस पर अपना कड़ा रुख जाहिर किया है. इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत के अरुणिम भुइयां की रिपोर्ट पढ़िए..

शी जिनपिंग
Xi Jinping

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 23, 2023, 8:46 PM IST

Updated : Sep 23, 2023, 9:42 PM IST

नई दिल्ली :चीन के हांगझोऊ में खेले जा रहे एशियन गेम्स 2023 में भारत के खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही तीन ऐसे भारतीय खिलाड़ी भी हैं जिन्हें मायूसी हाथ लगी है क्योंकि उन्हें चीन के द्वारा एशियन गेम्स में जाने के लिए वीजा जारी नहीं किया गया. जिसके चलते वो एशियन गेम्स में हिस्सा नहीं ले पाए. ये तीनों एथलीट अरुणाचल प्रदेश से हैं. दरअसल अरुणाचल प्रदेश के तीन वुशु खिलाड़ी न्येमान वांगसु, ओनिलु तेगा और मेपुंग लाम्गु को बॉर्डिंग की मंजूरी नहीं दी गई और उन्हें एशियन गेम्स से हाथ धोना पड़ गया.

चीन ने किया खिलाड़ियों के साथ भेदभाव
इन तीनों खिलाड़ियों को हांग्जो एशियाई खेल आयोजन समिति से उनके मान्यता कार्ड नहीं मिले. ये मान्याता कार्ड प्रवेश वीजा के रूप में भी काम आते हैं. इसे मिलने के बाद एथलीट यात्रा दस्तावेज़ के साथ यात्रा कर सकते हैं. ये दस्तावेज पूरी तरह से मान्य होते हैं. चीन ने अपनी कुटिल नीत के तहत इन खिलाड़ियों को एशियन गेम्स में भाग लेने से रोक दिया. चीन की इस हरकत का भारत की ओर से कड़ा विरोध किया गया है. भारत सरकार को इस पूरे मामले में पता चला है कि चीनी अधिकारियों ने पूर्व निर्धारित तरीके से अरुणाचल प्रदेश राज्य के एथलीट्स का वीजा रोका है. चीन ने एशियन गेम्स के 19वें संस्करण से बाहर कर इन खिलाड़ियों के साथ भेदभाव किया है.

अरिंदम बागची ने की निंदा
इस मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची कहा है कि, भारत दृढ़ता से अधिवास या जातीयता के आधार पर भारतीय नागरिकों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को अस्वीकार करता है और इसका कड़ा विरोध करता हैं. अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था और हमेशा रहेगा' बागची ने एक्स पर पोस्ट कर अपनी बात रखी. इस मामले के सामने आने के बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर अनपी चीन की यात्रा को रद्द कर दिया है.

किरेन रिजिजू ने दिया करारा जवाब
इस मामले पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के द्वारा चीन की कड़ी निंदा की गई है. उन्होंने इस मामले पर कहा कि, 'मैं चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के हमारे वुशु एथलीटों को वीजा देने से इनकार करने के इस कृत्य की कड़ी निंदा करता हूं. ये खेल की भावना और एशियाई खेलों के संचालन को नियंत्रित करने वाले नियमों दोनों का उल्लंघन करता है. खिलाड़ियों के प्रति ऐसा भेदभाव स्वीकार नहीं है. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को चीन पर कार्रवाही करनी चाहिए और इस तरह की मनमानी पर रोक लगानी चाहिए.

चीन अक्सर अरुणाचल प्रदेश के दक्षिण तिब्बत क्षेत्र के हिस्सा दावा करता है, चीन उसे अपना हिस्सा मानता है. ये पहली बार नहीं है जब इस प्रदेश के खिलाड़ियों पर रोक लगाई गई हो. चीन में अब से कुछ महीने पहले वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन हुआ था. उस समय चीनी दूतावास की ओर से अरुणाचल प्रदेश के 3 प्लेयर्स को नत्थी वीजा (stapled visas) की सम्सया का समना करना पड़ा था और भारतीय वुशु टीम के 12 सदस्यों की यात्रा को रोक दिया गया था.

क्या होता है नत्थी वीजा (stapled visas)
स्टेपल्ड या नत्थी वीजा एक अलग तरह का वीजा होता है. इसमें वीजा पर स्टेप (मोहर) नहीं लगता है बल्कि एक कागज या फिर पर्ची पर अलग से वीजा के साथ स्टेपल किया जाता था. इस कागज को अलग से पासपोर्ट के साथ लगा दिया जाता है और ऐसा वीजा नत्थी या स्टेपल्ड वीजा कहलाता है. इस अलग से लगाई गई पर्ची या कागज में यात्रा का उद्देश्य लिखा होता है. चीन की तरफ से दावा किया जाता है कि ऐसे वीज़ा वैध दस्तावेज़ हैं लेकिन भारत लगातार इससे इनकार करता रहा है. चीन स्टेपल्ड वीजा की नीति अरुणाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर पर ही लागू करता है. चीन की तरफ से बाकी भारतीय राज्यों के लिए ये नीति लागू नहीं होती है.

इस मामले पर पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने भी खुलकर बात की है. उनकी माने तो चीन के द्वारा साल 2005 में अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत क्षेत्र के रुप में परिभाषित किया जाने लगा था. चीन ने पहली बार अरुणाचल प्रदेश के एक सरकारी अधिकारी को साल 2006 में वीजा देने से मना कर दिया था. ये अधिकारी भारत सरकार के लिए काम करता था. इसके बाद से ही चीन ने स्टेपल वीजा की प्रक्रिया चालू कर दी. इस सब को चीन की सरकारी मीडिया ने खूब हवा दी.

इसके बाद से चीन ने अपने असली रंग दिखाए. चीन ने साल 2011 में अरुणाचल प्रदेश के 5 कराटे प्लेयर्स को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनाया और उन्हें स्टेपल्ड वीजा दिया. इसके बाद साल 2013 इस प्रदेश से आने वाले 2 तीरंदाजों को भी ये वीजा जारी किया. इसके अलावा भारोत्तोलन के खिलाड़ियों को भी ये वीजा मिला. इन सभी खिलाड़ियों को अपनी यात्रा छोड़नी पड़ी क्योंकि हवाई अड्डें पर स्टेपल्ड वीज़ा की समस्या इनको झेलनी पड़ी. चीन भारत को मैकमोहन रेखा को लेकर अक्सर चुनौती देता है. 1914 में शिमला कन्वेंशन पर सहमति बनी और तवांग क्षेत्र, तिब्बत के दक्षिणी भाग को एक माना जाने लगा. इसके बाद से चीन को इस क्षेत्र पर अपना हक जमाना शुरू कर दिया.

ये भी पढ़ें :Arunachal Athletes not allowed in China : खेल मंत्री ने रद्द किया चीन का दौरा, अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ी को नहीं मिला था वीजा
Last Updated : Sep 23, 2023, 9:42 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details